Monthly Archives: August 2013

हर घर में हो एक गाय और गाँव-गाँव गौशाला (कवीता)

Our Mother Cow

Our Mother Cow

हर घर में हो एक गाय और गाँव-गाँव गौशाला,
ऐसा गर हो जाये तो फिर भारत किस्मतवाला.

गाय हमारी माता है यह, नहीं भोग का साधन.
इसकी सेवा कर लें समझो, हुआ प्रभु-आराधन.
दूध पियें हम इसका अमृत, गाय ने हमको पाला.
हर घर में हो एक गाय और गाँव-गाँव गौशाला…

गाय दूर करती निर्धनता, उन्नत हमें बनाए,
जो गायों के साथ रहे वो, भवसागर तर जाए.
गाय खोल सकती है सबके, बंद भाग्य का ताला.
हर घर में हो एक गाय और गाँव-गाँव गौशाला…

\’पंचगव्य\’ है अमृत यह तो, सचमुच जीवन-दाता.
स्वस्थ रहे मानव इस हेतु, आई है गऊ माता.
गाय सभी को नेह लुटाये, क्या गोरा क्या काला.
हर घर में हो एक गाय और गाँव-गाँव गौशाला….

गाय बचाओ, नदी और तालाब बचाओ ऐसे,
\’गोचर\’ का विस्तार करें हम अपने घर के जैसे.
बच्चा-बच्चा बने देश में, गोकुल का गोपाला.
हर घर में हो एक गाय और गाँव-गाँव गौशाला…

गौ पालन-गौसेवा से हो, मानवता की सेवा,
गौ माता से मिल जाता है, बिन बोले हर मेवा.
कामधेनु ले कर आती है जीवन में उजियाला..
हर घर में हो एक गाय और गाँव-गाँव गौशाला..

-अज्ञात

शत्-प्रतीशत: मौदी ही बनेंगे प्रधानमंत्री मंत्री

नरेंद्र मोदी की जीत अब "अटल“ है!

नरेंद्र मोदी की जीत अब “अटल“ है!

देश के लिये चिंतीत महानुभवों से अपील हैं की कृपया किसी भी भांड मिडीया के चेनल देखकर या समाचार पत्र पढकर अपना समय बर्बाद ना करें, ये मिडीया वाले नरेंद्र मोदी के उस अंतीम क्षण तक के जबतक प्रधानमंत्री पद की शपथ ना लेले, मात्र आशंका ही लगाते रहने वाले हैं की वो PM बनेंगे की नहीं!!!

इनकी इन आशकांऔ से वे ये प्रयास किये जा रहे हैं की भौली भाली जनता में संदेह की स्थीती बनी रहे. जब की हकीकत आज कौसौं आगे नीकल चुकी हैं, आज हर गली-मुहल्ले का बच्चा हो या बुढा, सबकी जबान पर मोदी के अलावा और कोई नाम नहीं…

और हो भी भला क्यों नहीं. हैं कोई नेता जिसने सोनीया सहीत पुरी काँग्रेस पर एक आम आदमी के दिल की खुन्नस नीकाली हो! यहाँ  तक की मनमोहन की चड्ढी तक उतार कर रख दी हैं.

चुनाव जब होंगे तब होंगे, लेकीन आज इस देश का हर एक आम-और-खास मोदी के भाषण मात्र से सकुन प्राप्त करता नजर आ रहा हैं…मौदी का भषण अब आम आदमी के सर चढ चुका हैं और ये कोई नसेडीयों वाला नशा नहीं जो थोडी देर मे उतर जायेगा…ये नशा अब जनशक्ती बनकर टुट पडने को उबाल ले रहा हैं…

यकीन मानों, आने वाले समय में एक इतीहास रचने वाला हैं. बस, आप सभी से नीवेदन हैं की इस इतीहास के मात्र मुक दर्शक न बनकर अपनी भुमीका तय करें और जिस कदर भी हो सके योगदान अवश्य करे.

आप अपना योगदान इन तरीकों से कर सकते हैं…

> सोशियल मिडीया में मोदी का हो सके उतना प्रचार करें
> जब भी अपने मित्रो, पडोसीयों और रिस्तेदारों से मुलाकात हो, मोदी को मुद्दा अवश्य बनाये
> काँग्रेस सहीत शरदपवार, कजरीवाल,  मुलायम और मायावती जैसे काँग्रेसी दल्लों का खुलकर वीरोध करें
> सबसे महत्वपुर्ण: अपने इर्द-गीर्द के सभी लोगों का वोटर लीस्ट में नाम हो, सुनीश्चीत करलें और जीनके ना हो तुरंत उनको उचीत कदम उठाने की सलाह दे. देश के प्रती कितनी भी भावना भले क्युँ ना हो पर बगैर वोट के बदलाव संभव नहीं.

2014 का चुनाव एक धर्म युद्ध हैं, कर्म युद्ध हैं और अपने तथा देश के आत्मसम्मान को बचाने के लिये महासंग्राम हैं. यह चुनाव मात्र चुनाव नहीं, ये भारत के हर नागरीक का इम्तीहान हैं की देश को अस्थीरता की खाई में ढकलने वालो के प्रती आखीर जनता आक्रोश में उतरती हैं या नहीं.

जय हिंद, जय भारत!

इस आजादी को मनाउ तो कैसे!!! (कवीता)

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इस आजादी को मनाउ तो कैसे!!!

इस आजादी को मनाउ तो कैसे…
तान के सिर उठाउ तो कैसे!!!

जब सीमा पर हैं दुश्मन ललकारता…
जब देश का सिंहासन गद्दार संभालता…
जब पल-पल कट रहे शिश वीरों के…
फिर भी प्रधान रहा पडोसी को पुचकारता…

इस आजादी को मनाउ तो कैसे…
तान के सिर उठाउ तो कैसे!!!

जब अबला से भी अबली सरकार चल रही…
जब युवाऔं की जवानी संघर्ष में ढल रही…
बच्चो का भवीष्य अंधकार मय बन रहा…
और वृद्धो की भी आँस ढल रही…

इस आजादी को मनाउ तो कैसे…
तान के सिर उठाउ तो कैसे!!!

जब भुमी पुत्रो का संहार चल रहा…
जब घुसपैठीयों का हाहाकार चल रहा…
जब घर्मीयों का तिरस्कार चल रहा…
जब अधर्मीयों का सत्कार चल रहा…

इस आजादी को मनाउ तो कैसे…
तान के सिर उठाउ तो कैसे!!!

माफ करना!!

मै नहीं मानता इस झुठी आजादी को…
जश्न में नष्ट हो रही समय की बर्बादी को…
लालकीले से नीकलते निर्लज वचनों को…
खुन से सनी नैताऔ की खादी को…

इस आजादी को मनाउ तो कैसे…
तान के सिर उठाउ तो कैसे!!!

अब तो आजादी उस रोज मनायेंगे
जब इनको हम सबक सिखायोंगे
हटा के नामर्दों की फौजों को
सत्ता मे किसी “फोलाद” को बैठायेंगे…

लेकीन तब तक…

इस आजादी को मनाउ तो कैसे…
तान के सिर उठाउ तो कैसे!!!

जय हिंद, जय भारत!!!

— संजय त्रिवेदी की रचना

क्या सोशियल मिडीया की क्रांती पर आप को संदेह हैं!!!

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Social Media Kranti

याद हैं बचपन में जब किताबों में गांधी-नेहरु के किस्से पढा करते थे तब पिताजी इन नैताऔ की खिलाफत किया करते थे. तब ये नहीं समझ पाते थे कि किताब सही हैं या पिताजी! निष्कर्ष यही नीकालते थे की पिताजी तो ज्यादा पढे-लीखे थे नहीं तो किताबे ही सही होगी और इसका विशेष कारण था एसे तत्थ्यों का अभाव जो पिताजी के वचनों का आधार बने.

इसी धारणा के साथ हमने डिग्री तक लेली. लेकीन आज इन नैताऔ और देश को जब सोशियल मिडीया के आईने से देखा तो आँखे फटी की फटी रह गई. हमारी डिग्री ने हमें पैसे कमाने की मशीन तो बना दिया लेकीन हमे धोखे मे रख कर हमारी हस्ती को मिटा दिया!!! और इन हकीकतों को उजागर करने का श्रेय मात्र सोशियल मिडीया को हि जाता हैं.

आज डिग्री हाथ में लेकर भी यही सोचता हुँ की हमारी डिग्री फेल रही और पिताजी कम पढे-लिखे होते हुवे भी पास हो गये.

> कृपया सोशियल मिडीया की क्रांती को कम ना समझे….
> सोशियल मिडीया हिंदुस्तान जैसे लोकतांत्रीक देश के लिये वरदान बन कर उभरा हैं…
> जहाँ साजिशो के तहत हमारे इतीहास को खोकला कर दिया गया था, सोशियल मिडीया आज हकीकत उगल रहा हैं…
> जहाँ साजिशो के तहत बोलिवुड और क्रिकेट को ही युवाऔ ने अपना नशा बना लिया था, सोशियल मिडीया ने उसमें भी रोक लगा दी हैं…
> सरकार और मिडीया की मिलीभगत ने जिन खबरों का घला घौटना चाहा, सोशियल मिडीया ने उसे नंगा किया हैं…
> जिन क्रांतीकारीयों को देश भुलचुका था, उन्हे सोशियल मिडीया ने आज लाखों लोगो के दिलों मे फिर से जिवीत किया हैं…
> यहाँ तक की गांधी-नेहरु जैसे अमीट-छाप जैसे नैताऔ की पोल खोलकर इनकी हस्ती मीटाने की सुरुवात भी सोशियल मिडीया के जरीये हो चुकी हैं…
> और सबसे बडी भुमीका जो सोशियल मिडीया आज नीभा रहा हैं वो हैं सोये हुवे हिंदुऔं को जागृत कर एक जुट होने के लिये विवश करने का….

अभी तो सोशियल मिडीया की क्रांती मात्र अपने सुरुवाती दौर में होते हुवे भी समाज में कई चमत्कारी बदलाव सोशियल मिडीया की बदोलत नजर आने लगे हैं और जैसे-जैसे ये प्रसार फैलते जायेगा इसके बेहतर प्रभाव समाज के सामने होंगे.

जागो और जगाऔ, देश बचाऔ!!!
अभी तो करोडों को जगाना हैं!!!

जय हिंद, जय भारत!!!