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मोदी का लाहोर लंच

मोदी का लाहोर लंच

लगभग सभी आतंकवादीयों के हिट लिस्ट में अव्वल होने के बावजुद आतंकी गढ पाकिस्तान के लाहोर में मोदी का चंद घंटे गुजारना जाहीर हैं कि यह कोई मजाक नहीं था|

लाहोर रूकने वाले मोदी के फैंसले होने से लेकर उनके दिल्ली पँहुचने तक, भारतीय सुरक्षा एजेंसीयों के तो रोंघटे ही खडे हो गये होंगे|

लेकिन मोदी कि इस जोखिम भरी कुटनीती ने विश्व स्तर पर अपने पडोसी देशो के प्रती भारत के सकारात्मक विचारधारों को इस प्रबलता से उभार दिया हैं कि अब इसे कोई भी देश नकार नहीं सकेगा|

जहाँ देशी-विदेशी विशेषज्ञ इस कदम को पुर्णतया देश हित में बता रहे वहीं मोदी विरोधी कई तरह के कुतर्कों से लोगों में भ्रम फैलाने में जुट चुके हैं…..कोई इसे सुनीयोजीत बता रहा, कोई इसे व्यापारीक बता रहा तो एसे महारथी भी हैं जो इसे दिशाहिन व बचकाना साबीत करने कि कोशिश में लगे हुवे हैं!!!

एक तरह से मोदी का यह लाहोर दौरा अब तक के पुर्व सभी भारतीय प्रधान मंत्री के पाकिस्तानी दौरों में सबसे बेहतर हैं| वह इसलिये क्युँ कि अन्य सभी दौरों में पाकिस्तान के साथ जो भी समझौते या वार्ता हुई वह पाकिस्तान कि मक्कार रणनीती के चलते कभी धरातल पर नहीं उतर सकी| फिर महिनो पहले पाकिस्तानी दौरा निर्धारीत कर उसकी रणनीती पर सरकारी समय व्यर्थ कर क्या लाभ मिलना था!

एसे निर्धारीत दौरों से विदेशो से पोषित मिडीया तंत्र को लोगों के बीच फिजुल कि आँस बाधने का मौका मिलता हैं जैसा कि वे हमेशा भारत-पाक वार्ता के पहले करते आ रहे हैं लेकिन इस दफा वे कर ना सके| शायद यहीं कारण हैं कि इन मोदी विरोधीयों को मोदी कि यह अचानक कि गई पाकिस्तानी यात्रा हजम नहीं हो पा रही!

क्यो? आखिर इन रायता गैंग को रायता फैलाने का मौका जो ना मिल सका!!!

> ना ही पाकिस्तान के साथ कोई व्यापारीक निवेश हो सकता थे
> ना ही पाकिस्तान से कोई तकनीकी विशेषज्ञता हाँसील करनी थी
> ना ही पाकिस्तान में कोई लाभकारी प्रयोजना हैं जिसका नीरक्षण किया जा सकता था
> ना ही वहाँ कोई भारतीय मुल का अब बचा हैं जिन्हे मोदी संबोधीत कर सके
> और ना ही पाकिस्तान से किये कोई समझोतों का कोई महत्व होता हैं…

एसी परिस्थीतीयों के चलते सिर्फ यदी नाम मात्र ही पाकिस्तान यात्रा करना करना रहता हैं तो इस लिहाज से मोदी के चंद घंटे लाभकारी ही थे| पाकिस्तान से काम कि उम्मीद तो नहीं कि जा सकती थी और केवल नाम के लिये ही हमारे प्रधानमंत्री को पडोसी मुल्क पाकिस्तान जाना रहता हैं बगैर हो-हल्ला के इससे बेहतर यात्रा हो ही नहीं सकती थी|

देश में मोदी विरोधी चाहे जो तर्क दे कर इस घटना पर विरोध जता ले, लेकिन विश्व सत्तर पर भारत के प्रती अन्यदेशो का व्यवहारीक दृष्टीकोण मजबुत हुवा हैं|

सीनेमा हैं तो क्या? सवाल स्वाभीमान का!

इस देश में अगर रहना होगा
देश का सम्मान करना होगा

सीनेमा हाल से जिस तरह एक परिवार को सिनेमा हाल से बाहर नीकाला गया वह जाहीर हैं हमारे सेक्युलर वर्ग के लिये सहजता से हजम करना आसान नहीं होगा और वह भी तब जब वह एक “मुस्लीम” परिवार हैं!

कई बुद्धीजीवी इस खबर पर कई प्रकार के विचार रखेंगे लेकिन यह सवाल देश के साथ-साथ उन देशभक्तों के स्वाभीमान से जुडा हैं जिनकी नस्ले आज भी देश कि मिट्टी से शिवाजी, संभाजी व राणा जैसे शुरवीरों के बलीदानी सुगंध को महसुस करती हैं|

जब मुद्दा देश के मान सम्मान से जुडा हो तो जरूरी नहीं कि हर किसी को रणभुमी में सिना तान के खडे होने का सौभाग्य प्राप्त हो वह सिनेमा घर में बैठे गद्दार को भी पहचान कर उनसे अपने व देश के स्वाभीमान कि लडाई लड सकता हैं|

सशक्त नेत्रीत्व से सिमा तो सुरक्षीत होनी हैं किंतु सबसे ज्यादा अगर देश को कहीं से खतरा होता हैं तो वह हैं देश के भीतर पल रहे सँपोलो से जो हर पल इस कोशिश में रहते हैं कि लोगों में इतना भ्रम फैला दिया जाये कि देश का मजबुत नेत्रीत्व ही धराशायी हो जाये|

आज देश के बदलते माहोल ने बडे तौर पर दो वर्ग को उभार दिया हैं जिसमें एक तरफ देशभक्तों का मेला हैं तो दुसरी और तरह-तरह के मुखौटो में छुपे देश के गद्दारो का झुंड हैं जो कभी असहिष्णुता को मुद्दा बना रहा, कभी खुद को डरा हुवा बता रहा तो कभी एक समुदाय विशेष को पिडीत बता रहा|

सिनेमा हाल में जो भी हुवा वह आज जागृत होते एक स्वाभीमानी देश कि झलक हैं जिसका संदेश बीलकुल साफ हैं….

जिसमे देश के लिये सम्मान नहीं
वह सिनेमा घर तो क्या
इस देश में भी रहने लायक नहीं!!!

|| वंदेमातरम् ||

कलयुग का धर्मयुद्ध तो छिड चुका

भारत के खिलाफ मक्कार-युद्ध तो सदीयों से भारत कि छाती पर रचा जा रहा लेकिन अब ISIS द्वारा घौषणा पत्र जारी कर भारत के खिलाफ सिधी लडाई का एलान कर दिया|

साथ ही नरेंद्रमोदी को इस्लाम का सबसे बडा व पहले नंबर का दुश्मन बताते हुवे भारत सहीत दुनीया के मुसलमानों को एक झुट हो कर भारत के हिंदुऔ से लडने को कहा|

ISIS ने अपने घोषणा पत्र में भारतीयों में फुट डालने वाली कई तरह कि आपत्ती जनक टिप्पणीया लीखी जिससे हिंदुस्तान में ग्रह युद्ध छिड जाये|

अब तक जीस ISIS को हम कौसो दुर कि बात समझते थे उसने आखिरकार भारत कि चौखट पर दस्तक दे ही दी हैं|

हिंदुस्तान पर “इस्लाम” के नुमाईंदो कि ललकार पहली बार नहीं हैं लेकिन मुद्दे कि बात तो यह हैं कि हमारे भविष्य ने हमारे हर वर्तमान में यही प्रश्न खडा किया हैं कि आखिर हमने हमारे इतिहास से कोई सबक लिया भी हैं या नहीं!!!

साफ तौर पर यह मानवता के लिये लडा जाने वाला एक धर्मयुद्ध नजर आ रहा हैं जिसमे एक तरफ मानवता को बचाने वाले हैं तो दुसरी और हैवानीयत को फैलाने वाले हैं|

यदी वास्तव में यह मानवता कि रक्षा के लिये धर्मयुद्ध हैं तो हर किसी को धर्म के साथ खडा होना ही होगा और जो धर्म के साथ नहीं खडा वह जाने-अनजाने, चाहे-अनचाहे रूप में अधर्म के साथ हि दे रहा हैं|

गीता में श्री कृष्ण ने भी यही कहा हैं – धर्मयुद्ध से कोई अछुता नहीं रह सकता, जो धर्म के साथ नहीं खडा उसे अधर्म के साथ ही मान लिया जाये|

|| धर्म रक्षती रक्षती: ||

तुम धर्म कि रक्षा करो
धर्म भी तुम्हारी रक्षा करेगा