######## पुरा पढे और समझे #######
### भारत को तोडने का विदेशी षडयंत्र ###
मई 2014 नरेंद्र मोदी pm बन गए
रिपोर्ट आई की इस बार मोदी को एक तरफ़ा वोट मिला
1) नोजवानों से ,
खासकर कॉलेज छात्रों से
2) कमजोर तबकों से,
खासकर दलितों से
3) हिन्दू समाज से,
खासकर मध्यम वर्ग से
4) गुजराती लोगों से,
खासकर पटेलों से
5) मुस्लिम समाज से,
खासकर गरीब मुस्लिम से
6) महिलाओं से,
खासकर धर्मप्रेमी महिलाओं से
7) व्यापारी वर्ग से,
ख़ासकर छोटे मझोले वर्ग से
8) देश के थिंकटैंक से,
खासकर बुद्धिजीवी वर्ग से
ऐसे कई कई वर्गों ने अपनी पुश्तैनी राजनीतिक निष्ठां को दरकिनार कर मोदी को वोट दिया। कश्मीर से कन्याकुमारी तक यही देखने में आया। हर राजनीतिक दल ने इसे पुरे भारतवर्ष में महसूस किया।
इसका जो तोड़ विदेशी षडयंत्र कारीयों ने निकाला उसका नतीजा आज हमारे सामने है।
सबसे पहले हर उस वर्ग को चिन्हित किया गया जिसने मोदी को एक तरफ़ा वोट दिया। फिर उस वर्ग की “दुखती नस” को पकडा गया और खेल शुरू हुआ…..
बेहद सटीक और बारीकी से चुन चुन कर इन वर्गों को नीशाना बनाया जाने लगा। किरदार लिखे गए और हर वर्ग को एक टार्गेटेड किरदार दिया गया। उसकी टाईमिंग तय की गई जिसका रिमोट विदेशी ताकतो ने अपने हाथों में रखा हैं…
प्रमुख विपक्षी दल (जो दिखावे के लिये भीन्न हैं किंतु आचरण से एक हैं) व भांड मीडिया जो आज तक विदेशी हाथों के रखेल बनकर भारत को लुटने और बर्बाद करने में अपनी भुमीका नीभाते आ रहे अब सब एक साथ मोदी सरकार को घैरने को उतारू हो चुके थे।
मकसद इन सबका एक था…
हर वर्ग को तोडना,
हर वर्ग को जहर से भरना,
हर वर्ग को छिन्न भिन्न करकें रखना ,
ताकि फिर वो भविष्य में,
कभी एक होकर वोट ना दे….भारतीय समाज का आपसी मतभेद ही इनकी अबतक की सबसे बडी ताकत रही हैं ।
अब आप खुद इस बड़े से खेल को समझिये,
इनकी परफेक्ट टाइमिंग को समझिये,
इनके “वेल-प्लेसड” किरदारों को देखिये,
षडयंत्रकारी स्क्रिप्ट को पढ़िए और समझीये कि विदेशी शातीरों ने किस कदर भारतीय समाज पर PHD कि हैं और वे किस तरह वे भारत को भारतीयों के हाथों ही बर्बाद करने के लिये एक से बढकर एक पाँसे फेकते जा रहे और भारत का आम आदमी समझ ही नहीं पा रहा की आखिर देश में चल क्या रहा।
यदी आप विपक्षी नेताऔ कि बयान बाजी व मिडीया द्वारा मोदी सरकार के खिलाफ उठाये जा रहे प्रत्येक मुद्दो पर सटीक नजर रखेंगे तो इनके हर बयान व हो रही घटनाऔ की एक परफेक्ट टाइमिंग स्पष्ट रूप से रखी दिखेगी।
1) देश में जीतीवाद बढाने के लिये
अचानक जाट आरक्षण आंदोलन के उग्र किरदार
2) वामपंथीयों के लिए
JNU वाला उमर खालिद किरदार
3) दलित वर्ग के लिए
रोहित वेमुला वाला किरदार
5) नोजवान वर्ग के लिये
फ़िल्मी खान वाला किरदार
6) गुजरती पटेलों के लिए
हार्दिक पटेल वाला किरदार
7) मुस्लिम वर्ग के लिए
अख़लाक़ वाला किरदार
8) महिला वर्ग के लिए
शनि शिंगापुनकर वाली किरदार
9) व्यापारी वर्ग के लिए
GST वाला किरदार
10) बुद्धिजीवी वर्ग के लिए
एवार्ड वापसी वाले असहिष्णुता वाले किरदार
इन सारे मुद्दो में पर घौर करीये, हैरान हो जाऔगे…इन प्रत्येक किरदारो के तार या तो किसी गैर-सरकारी NGO से या फिर राजनीतीज्ञों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुडे हुवे हैं| मुद्दा बनवाने के लिये ये कितनो के ही कत्ल करवा सकते हैं और किसी भी मौत का तमाशा खडा कर सकते हैं| इन मुद्दो में नया कुछ भी नहीं हैं, मुद्दे वही हैं जिसे उठवा कर अंग्रेजो ने पहले भारत को गुलाम बनाया और आज भी विदेशी ताकते पर्दे के पीछे से कमान संभाले हुवे हैं| बदलाव सिर्फ इतना हैं की घटनाक्रमों को ज्वलंत बनाने के लिये तरो-ताजा किरदार इस्तेमाल किये गये।
इन षडयंत्रकारीयों की स्क्रीप्ट यहीं खत्म नहीं हुई हैं, भविष्य में और भी किरदार सामने लाये जायेंगे, अपनी परफेक्ट स्क्रिप्ट और टाइमिंग के साथ। आपको , हमको , हिंदुस्तान को तोड़ने की साजिश के साथ।
एसा नहीं हैं कि मोदी सरकार इससे अनजान हैं। उन्हे इसका अंदाजा सरकार बनाने के पुर्व ही था जिसके चलते ही मोदी ने सरकार बनाते ही गैर-सरकारी संघठनो के विदेशी चंदो पर रोक लगा दी थी जिसमे Green Pease India व अमेरिका की CIA द्वारा संचालीत FORD Foundation अहम थी। इस वजह से भी विदेशी षडयंत्रकारी पुरी तरह खिसयाए हुवे हैं।
जिन्हे इस लेख पर विश्वास नहीं और “विदेशी षडयंत्रकारीयों” कि बाते मात्र काल्पनीक या मन गढत सी लगती हो उनकी शंका समाधान हेतु उन्हे दो अन्य श्रोत बताना चाहुँगा जस पर वे Google गुरू से पहोंच सकते हैं…
१) प्रसिद्ध व राष्ट्रवादी लेखक – राजीव मलहोत्रा जी – की किताब Breaking-India-Forces को पढ सकते हैं
२) गुगल गुरू पर सर्च किजीये – America CIA Role in breaking India
|||| सजग रहिएगा, सतर्क रहियेगा ||||
हम “अनेक” थे
हम “अनेक” हैं
हम “अनेक” ही रहेंगे
“अनेकता में एकता” यही हमारी विशेषता हैं और यही हमारी ताकत भी हैं और भारत के उज्वल भविष्य एक मात्र मार्ग भी यही हैं।
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(संकलीत व संपादीत लेख)