Monthly Archives: March 2016

Breaking India Conspiracy

######## पुरा पढे और समझे #######
### भारत को तोडने का विदेशी षडयंत्र ###

मई 2014 नरेंद्र मोदी pm बन गए

रिपोर्ट आई की इस बार मोदी को एक तरफ़ा वोट मिला

1) नोजवानों से ,
खासकर कॉलेज छात्रों से

2) कमजोर तबकों से,
खासकर दलितों से

3) हिन्दू समाज से,
खासकर मध्यम वर्ग से

4) गुजराती लोगों से,
खासकर पटेलों से

5) मुस्लिम समाज से,
खासकर गरीब मुस्लिम से

6) महिलाओं से,
खासकर धर्मप्रेमी महिलाओं से

7) व्यापारी वर्ग से,
ख़ासकर छोटे मझोले वर्ग से

8) देश के थिंकटैंक से,
खासकर बुद्धिजीवी वर्ग से

ऐसे कई कई वर्गों ने अपनी पुश्तैनी राजनीतिक निष्ठां को दरकिनार कर मोदी को वोट दिया। कश्मीर से कन्याकुमारी तक यही देखने में आया। हर राजनीतिक दल ने इसे पुरे भारतवर्ष में महसूस किया।

इसका जो तोड़ विदेशी षडयंत्र कारीयों ने निकाला उसका नतीजा आज हमारे सामने है।

सबसे पहले हर उस वर्ग को चिन्हित किया गया जिसने मोदी को एक तरफ़ा वोट दिया। फिर उस वर्ग की  “दुखती नस” को पकडा गया और खेल शुरू हुआ…..

बेहद सटीक और बारीकी से चुन चुन कर इन वर्गों को नीशाना बनाया जाने लगा। किरदार लिखे गए और हर वर्ग को एक टार्गेटेड किरदार दिया गया। उसकी टाईमिंग तय की गई जिसका रिमोट विदेशी ताकतो ने अपने हाथों में रखा हैं…

प्रमुख विपक्षी दल (जो दिखावे के लिये भीन्न हैं किंतु आचरण से एक हैं) व भांड मीडिया जो आज तक विदेशी हाथों के रखेल बनकर भारत को लुटने और बर्बाद करने में अपनी भुमीका नीभाते आ रहे अब सब एक साथ मोदी सरकार को घैरने को उतारू हो चुके थे।

मकसद इन सबका एक था…
हर वर्ग को तोडना,
हर वर्ग को जहर से भरना,
हर वर्ग को छिन्न भिन्न करकें रखना ,
ताकि फिर वो भविष्य में,
कभी एक होकर वोट ना दे….भारतीय समाज का आपसी मतभेद ही इनकी अबतक की सबसे बडी ताकत रही हैं ।

अब आप खुद इस बड़े से खेल को समझिये,
इनकी परफेक्ट टाइमिंग को समझिये,
इनके “वेल-प्लेसड” किरदारों को देखिये,
षडयंत्रकारी स्क्रिप्ट को पढ़िए और समझीये कि विदेशी शातीरों ने किस कदर भारतीय समाज पर PHD कि हैं और वे किस तरह वे भारत को भारतीयों के हाथों ही बर्बाद करने के लिये एक से बढकर एक पाँसे फेकते जा रहे और भारत का आम आदमी समझ ही नहीं पा रहा की आखिर देश में चल क्या रहा।

यदी आप विपक्षी नेताऔ कि बयान बाजी व मिडीया द्वारा मोदी सरकार के खिलाफ उठाये जा रहे प्रत्येक मुद्दो पर सटीक नजर रखेंगे तो इनके हर बयान व हो रही घटनाऔ की एक परफेक्ट टाइमिंग स्पष्ट रूप से रखी दिखेगी।

1) देश में जीतीवाद बढाने के लिये
अचानक जाट आरक्षण आंदोलन के उग्र किरदार

2) वामपंथीयों के लिए
JNU वाला उमर खालिद किरदार

3) दलित वर्ग के लिए
रोहित वेमुला वाला किरदार

5) नोजवान वर्ग के लिये
फ़िल्मी खान वाला किरदार

6) गुजरती पटेलों के लिए
हार्दिक पटेल वाला किरदार

7) मुस्लिम वर्ग के लिए
अख़लाक़ वाला किरदार

8) महिला वर्ग के लिए
शनि शिंगापुनकर वाली किरदार

9) व्यापारी वर्ग के लिए
GST वाला किरदार

10) बुद्धिजीवी वर्ग के लिए
एवार्ड वापसी वाले असहिष्णुता वाले किरदार

इन सारे मुद्दो में पर घौर करीये, हैरान हो जाऔगे…इन प्रत्येक किरदारो के तार या तो किसी गैर-सरकारी NGO से या फिर राजनीतीज्ञों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुडे हुवे हैं| मुद्दा बनवाने के लिये ये कितनो के ही कत्ल करवा सकते हैं और किसी भी मौत का तमाशा खडा कर सकते हैं| इन मुद्दो में नया कुछ भी नहीं हैं, मुद्दे वही हैं जिसे उठवा कर अंग्रेजो ने पहले भारत को गुलाम बनाया और आज भी विदेशी ताकते पर्दे के पीछे से कमान संभाले हुवे हैं| बदलाव सिर्फ इतना हैं की घटनाक्रमों को ज्वलंत बनाने के लिये तरो-ताजा किरदार इस्तेमाल किये गये।

इन षडयंत्रकारीयों की स्क्रीप्ट यहीं खत्म नहीं हुई हैं, भविष्य में और भी किरदार सामने लाये जायेंगे, अपनी परफेक्ट स्क्रिप्ट और टाइमिंग के साथ। आपको , हमको , हिंदुस्तान को तोड़ने की साजिश के साथ।

एसा नहीं हैं कि मोदी सरकार इससे अनजान हैं। उन्हे इसका अंदाजा सरकार बनाने के पुर्व ही था जिसके चलते ही मोदी ने सरकार बनाते ही गैर-सरकारी संघठनो के विदेशी चंदो पर रोक लगा दी थी जिसमे Green Pease India व अमेरिका की CIA द्वारा संचालीत FORD Foundation अहम थी। इस वजह से भी विदेशी षडयंत्रकारी पुरी तरह खिसयाए हुवे हैं।

जिन्हे इस लेख पर विश्वास नहीं और “विदेशी षडयंत्रकारीयों” कि बाते मात्र काल्पनीक या मन गढत सी लगती हो उनकी शंका समाधान हेतु उन्हे दो अन्य श्रोत बताना चाहुँगा जस पर वे Google गुरू से पहोंच सकते हैं…
१) प्रसिद्ध व राष्ट्रवादी लेखक – राजीव मलहोत्रा जी – की किताब Breaking-India-Forces को पढ सकते हैं
२) गुगल गुरू पर सर्च किजीये – America CIA Role in breaking India

|||| सजग रहिएगा, सतर्क रहियेगा ||||

हम “अनेक” थे
हम “अनेक” हैं
हम “अनेक” ही रहेंगे
“अनेकता में एकता” यही हमारी विशेषता हैं और यही हमारी ताकत भी हैं और भारत के उज्वल भविष्य एक मात्र मार्ग भी यही हैं।

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(संकलीत व संपादीत लेख)

#WCFIndiasPride : Will Fight Back !

#WCFIndiasPride : Will Fight Back !

भारत में भारतीय संस्कृती को मिटाने वाली ताकतों ने अब आर्ट-आफ-लीवींग को नीशाना बनाया| दिल्ली में यमुना नदी के किनारे होने वाले आर्ट-आफ-लिवींग के अतंराष्ट्रीय सांस्कृतीक सम्मेलन जो कि यमुना नदी के किनारे ११ से १३ मार्च ११ से १३ मार्च को निर्धारीत हैं उसके पाछे तरह-तरह के विहाद फैलाया|

ये वही ताकते हैं जिन्होने कई तरीकों से हमारे पुज्य साधु-संतो के खिलाफ तरह-तरह के षडयंत्र रचते आ रहे हैं और जिस तरह साधु-संतो के पीछे बिकाऊ मिडीया भी अपनी एडीचोटी का जोर लगाती आया हैं उसी तरह इस बार भी मिडीया व बिकाऊ पत्रकार का एक वर्ग ने अपना बजार लगाने कमर कस था|

पर्यावरण के रक्षक उस समय कहाँ मर जाते हैं जब यमुना तट पर बडी-बडी बिल्डींगे निर्माण होती रहती हैं…मात्र तीन दिवसीय सांस्कृतीक कार्यक्रम में रौडे अटकाने के लिये सारा पर्यावरण प्रेम उमड पडा!!!

कुछ ही दिनो पहले पाकिस्तानी गायक गुलाम अली के कार्यक्रम का जब विरोध उठा था तब सारे विपक्ष व बिकाऊ मिडीया ने एक सुर में उसका साथ दिया था लेकिन भारत में ही भारतीय सांस्कृतीक कार्यक्रम के पक्ष में किसी ने आवाज बुलंद नहीं की!!!

यह एक सांस्कृतीक आतंकवाद का ही हिस्सा हैं जिसमें भारतीय संस्कृती को दबा कर खत्म करने का षडयंत्र चल रहा हैं जिसके तहत ही हमारी संत परमपरा पर रह-रह कर हमले होते रहे हैं|

हमे यह ठान कर चलना हैं कि इन मक्कारों कि चलने नहीं दि जायेगी… देश के हर राष्ट्रप्रेमी दिवार बन कर इनके विरोध में खडा नजर आयेगा

|| वंदेमातरम् ||

तय करलो…आप किसके साथ हो

तय करलो…आप किसके साथ हो ###

भारत-विरोधी मिडीया ने जिस तरह JNU के राष्ट्रद्रोही छात्र कन्हैया को नायक के तौर पर उभारा हैं यह आज हर भारतीय के लिये बेहद चिंतन व अध्यन का विषय बन चुका हैं….

जहाँ इस प्रकरण में भारतीय राजनीती के कई दिग्गजो का राष्ट्रविरोधी चरीत्र उजागर किया हैं वहीं भारत के कोने-कोने में भारत कि बर्बादी के लिये फैलाये जा रहे विष भरे तंत्र को भी उभार कर रख दिया हैं…

तरह-तरह के कई प्रकरणो ने आज राजनीतीक व समाजीक परिवेश को दो फाड में बाँट दिया हैं जिसमें….

दुसरी तरफ राष्ट्रवादी ताकते हैं…

दुसरी तरफ देश को बचाने वाले गीने-चुने पत्रकार व सोशियल मिडीया

दुसरी तरफ देश को समर्पीत, धर्म-रक्षक व कर्मठ संघठन, संत व राज सेवक

दुसरी तरफ देश का चौकन्ना खुफीया-तंत्र व सिमा पर डटे व बलीदान देते जवान

दुसरी तरफ शहीद होते जवानों का निर्भय, साहसीक परिवार

इस देश का अब कोई भी नागरीक स्वयं को निष्पक्ष नहीं रख सकता…कोई भी नागरीक भ्रमीत रहकर खुद को अलग नहीं रख सकता… हमे अपने भ्रम को दुर करना ही होगा…यदी हमने राष्ट्रवादीयो का साथ नहीं दिया तो स्वभावीक रूप से हमारी खामोशी राष्ट्रविरोधी ताकतों का समर्थन करती नजर आयेगी…क्युँ की यदी देश बर्बाद हुवा तो उसकी एक जिम्मेदार हमारी खामोशी भी होगी…

अगर आज हमने इसके पिछे देश के टुकडे-टुकडे करने वाले षडयंत्र को समझने तथा दुसरों को समझाने मे भुल या फिर देर कर दी तो हमे अपनी अगली पीढी को धरोहर में फिर एक बेडीयों में बंधा, खंड-खंड में बीखरा भारत सौपना होगा जिससे संभवतः उनका जिवन अनगीनत संघर्षों से भर जाये|

यह हकिकत हैं कि इन संघठीत रूप से उभरे गद्दारों के पिछे एक बहोत बडी शक्ती सुनीयोजीत तरीके से कार्यरत हैं और ये खुलेआम हमारे सामने कुछ भी कह सकते हैं, कर सकते हैं क्यों की इनके लिये कोई कानुनी हद नहीं…और हम परिवारीक जिम्मेदारीयों के बोझ तले इनके आगे कुछ नहीं कर सकते क्युँ की हम ना तो संघठीत हैं और ना ही कानुन हमें इसकी इजाजत देता हैं…

लेकिन कम-से-कम हम इनके विरूद्ध आवाज उठा कर दुसरो को जागृत व संघठीत कर सकते हैं…जो इनके विरूद्ध डटे हैं उनका समर्थन कर उनकें हाथ मजबुत कर सकते हैं….

एसा हमे करना ही होगा…..
तब जा कर ही हमारा लोकतंत्र सफल हो सकेगा|

|| जय हिंद || वंदेमातरम् ||

स्मार्ट फोन रखते हो तो स्मार्ट भी बनो

### क्या आप भी स्मार्ट फोन रखते हैं ###

मुंबई लोकल के फर्स्ट-क्लास में फिल्मे शेयर करते वक्त एक ने दुसरे से कहा – यार तेरा (फोरेन ब्रांड) स्मार्ट फोन बहोत स्लो (धीमा) हो गया हैं अब बदली करले…

दुसरे ने हल्की सी मुस्कान देते हुवे बताया – अरे स्लो भले ही हैं लेकिन आज भी यजफुल हैं, दो साल हो गये, १६ हजार में खरीदा था…पुरा पैसा वसुल किया … कम से कम मेने ६० से ७० फिल्मे देखी होगी इस पर … एक से एक धाँसु! और वो भी सब-के-सब इस लोकल में ही… एक बार थियेटर जाता तो कम से कम २५० रू लगना ही था और ३/४ घंटे बीगडते वो अलग…लेकिन इस पर तो एक दम फ्रि! साथ ही साथ गेम-म्युजीक कि तो सदाबहार!

उसकी बातो से आम तौर से सही मानी जा सकती हैं लेकिन मेरी सोच को थोडा धक्का लगा| शायद इसलिये कि मेरे लिये स्मार्ट-फोन के मायने कुछ अलग ही थे| इस तर्ज पर मेने भी अपने स्मार्ट फोन कि समीक्षा कर ली|

मेरा स्मार्ट फोन (स्वदेशी ब्रांड) वह तो इतना किमती नहीं, मात्र लगभग ६ हजार…और लिये हुवे भी करीब-करीब दो साल… अब आकलन यह लगाना था कि उपयोग कैसा हुवा| उन महाशय का सिधा हिसाब था कि २५० थियेटर कि टिकट और ६०-से-७० फिल्मे, समय कि बचत, गेम्स-म्युजीक जैसे अतिरिक्त लाभ| लेकिन मेरा हिसाब इतना सरल नहीं हो सकता था क्यों कि ना तो मेने इस पर कभी फिल्मे देखी नहीं और ना ही गेम-या-म्युजीक|

तो आखिर मेने स्मार्ट-फोन का इस्तेमाल किया कैसे?

सवाल सही हैं और मेरी नजर में इसका जवाब भी बेहद किमती हैं| अब सोचीये…जब इस प्रश्न के जवाब को ही मेने किमती बता दिया तो जो इस्तेमाल किया होगा उसकी किमत कितनी होगी?

नहीं…नहीं…मेने इससे कोई व्यापार नहीं किया और ना ही किसी औन लाईन इनकम जैसी स्कीम से जुडा….बल्की मेने तो अपने स्मार्ट फोन से जी-जान लगा रखी हैं खुद को जागृत कर दुसरो को जागृत करने की|

हाँ… जागृत| मेने अपने स्मार्ट-फोन से मात्र सोशियल – मिडीया के लिये उपयोग किया| सोशियल मिडीया जिसमे Facbook, Twitter, Whatsup व Hike जैसे एप्लीकेशन, जिसने मुझे कई जाने अनजाने लोगों से जोडा…जो कि अपने ही समाजीक वर्ग का हिस्सा हैं|

लेकिन इससे फायदा क्या हुवा ?

बेहद क्रांतीकारी!  मैं उनसे जुड सका जौ मेरी ही तरह समाज में रहते हुवे भारतीय सभ्यता, संस्कृती, सुरक्षा व अर्थव्यवस्था जैसे मुद्दो के लिये ना केवल चिंतीत हैं बल्की अपने-अपने तरिके से मातृभुमी कि सेवा में लगे हुवे हैं|

मेने उनके विचारो को जाना, मेने अपने विचार रखे, कई लोगों ने मुझे कुछ समजाया और कईयों को मेने कुछ सिखाया| इस तरह सोशियल मिडीया से जुडे लोगों के स्वत: के भीतर अनेको तरह के वीचारों का मंथन सा  चल पडा| आज इस मंथन से देश के हालात, समाज व देश के विरूद्ध चल रही साजीशे व अनगीनत प्रतीष्ठीत बहरूपीये जिनको मेने कई बार जाने-अनजाने में अपने सिर आँखो पर बैठा लिया था उनसे जुडी कई गुत्थीयो को सुलझाने में बडा सहयोग मिला|

साथ-ही-साथ उन महान विभुतीयों से भी अवगत हो सका जिन्होने राष्ट्र के लिये अपना सर्वस त्याग दिया व आज भी देश कि दशा बदलने में निरंतर लगे हुवे हैं|

क्या कहा?
अखबार ? न्युज चेनल ?
इनसे भी तो यह सब पता चल सकता था !!!

अच्छा-अच्छा…समझा…..मिडीया कि बात कर रहे हो…ठिक याद दिलाया| पहले मेने भी यही भ्रम पाल रखा था कि मिडीया विश्व पर नजर रखने की हमारी आँखे हैं| मिडीया वाले हमें तरह-तरह कि जानकारी दे कर अवगत कराते हैं| लेकिन जबसे सोशियल मिडीया का दामन पकडा हैं मेने….मुझे इस खबरी-मिडीया के नाम से नफरत सी हो चुकी हैं| क्युँ की जीस मिडीया को हम विश्व पर नजर रखने कि आँखे समझते हैं वह तो दरअसल विश्व कि हकिकत से अनजान रहने के लिये नींद कि मिठी डोस देने वाला वो नमक हराम निकला जिसे हमने अपने ही घरों में अपनी मेहनत की कमाई खर्च कर बेहद आदर से पाल रखा हैं|

सोशिय-मिडीया ने मेरी ही तरह के लोगों के एसे-एसे ‘खतरनाक’ भ्रमो को तोडा जिन्हे यदी हम पालते रहे तो ना केवल हम तीसरी गुलामी कि चौखट पर होंगे बल्की हमारे भारत देश के ही कई छोटे-छोटे तुकडे हो जायेंगे और उसके बाद भी समस्या दुर नहीं होगी और खत्म होने तक एक दुसरे से लडते रह जायेंगे|

हो सकता हैं कई लोग शायद मेरी बातों पर विश्वास ना कर पाये…उनसे यही नीवेदन रहेगा कि भाई पहले तनीक पाकिस्तान व बंगलादेश को ही देख लो…अलग हमसे ही हुवे और आज हमसे ही दुश्मनी पाल रहे….और फिर, आज देश का नजारा भी देख लो…

कश्मीर मांगे आजादी…
बंगाल मागें आजादी….
केरला मांगे आजादी और
मनीपुर भी मांगे आजादी …
भारत कि बर्बादी तक….

कुछ सुनाई दिया!!! ना अब यह ना कहना कि ये मिडीया ने ही बताया…यह तो जब सोशियल मिडीया ने आवाज उठाई तब जाकर उन्हे बताना पडा| दुसरी बात… यह नारे पहली बार नहीं लगे हैं…. ये तो सालों से लग रहे हैं….लेकिन खबरी-मिडीया ने तो इसे सालो-साल दबाये रखा था| सोचीये आज जो विपक्ष में रहते हुवे भी इनका समर्थन करने उतर आये हैं, उनके सत्ता में रहते किस-किस तरह से इन्हे आसरा दिया होगा….लेकिन खबरी मीडीया…चुप्प!!!! कम शब्दो में कहें तो खबरी-मिडीया आस्तीन के साँपो को छुपाने, झुठ फैलाने व लोगों का ध्यान भटकाने का जरीया हैं|

स्मार्ट फोन में समाये सोशियल मिडीया ने भारत कि गौरवशाली संस्कृती, सभ्यता, वास्तवीक इतिहास व वर्तमान कि गंभीर समस्या के प्रती ना केवल मुझे जागृत किया बल्की मेरे जैसे लाखों लोगों कि आँखे खोली|

अब एसे ही लाखों लोगों कि फौज दिनरात जुटी हुई हैं देश के करोडों को जागृत करने में और सबका लक्ष्य यही हैं कि जनता को जागृत कर इस देश के रक्षक स्वरूप उभरना….और इसका जरीया होगा यही स्मार्ट फोन हैं|

यकीन मनों, चंद मुट्ठी भर सेना १२५ करोड कि आबादी वाले देश कि सुरक्षा कि जिम्मेदार अकेले कंधो पर उठाना संभव नहीं हो पायेगा…और यदी हम रक्षक बन कर देश कि सेवा में खडे हो जाये तो गद्दारों का हमारी तरफ आँख भी उठाना असंभव हो जायेगा| और खासकर यह तब ज्यादा जरूरी हो जाता हैं जब सिमा पर खडे दुश्मनों से ज्यादा गद्दार देश के भीतर और वो भी आप और हमारे बीच ही पल रहे हो|

कुछ बुद्धीजीवी इस तरह के विचारों से अपनी-अपनी दिलचस्पी का नाम दे कर कन्नी काट सकते हैं….वे वास्तव में “अती बुद्धीमान” हैं|

माना कि मेरा स्मार्ट फोन धीमा जरूर हो लेकिन आज भी वो शब्दो के एसे परमाणु धमाके किये जा रहा हैं जिनके आगे गद्दारी-कि-बिमारी अब बोनी नजर आने लगी हैं|

हाँ….तो … मेरा आँकलन चल रहा था कि मेरे स्मार्ट फोन के उपयोग से मैने अब तक कितना पैसा वसुल किया….मेरे खयाल से अब यह आँकलन बेईमानी हैं…

उस देश के लिये कि गई अपनी देशभक्ती कि किमत मैं क्या लगाउँगा जिसके लिये करोडों ने अपना जिवन न्यौछावर कर हँसते-हँसते फाँसी पर जुल उठे, चलती तोप के आगे सिना लगा कर खडे हो गये, आग के कुँए में कुद कर जौहर रच दिया|

वे धन्य थे …
मैं तो कुछ नहीं….
सच कहता हुँ….कुछ भी नहीं….

अंत में कुछ बाते:
१) यदी आपने अभी तक अपने स्मार्ट-फोन से सोशियल मिडीया नहीं वापरा या मात्र स्वयं के नीजी दोस्तो तक ही सिमीत रखा हैं…
२) यदी आप अपने सोशियल मिडीया में अब तक एक भी देशभक्तों के ग्रूप से नहीं जुडे हैं…
३) यदी आपने अब तक अपने सोशियल मिडीया से देशहित की खबरों को दुसरों तक नहीं पहोचाया हैं…

तो माफ करना… बेहद दु:ख से कह रहा हुँ…
आपका फोन भले ही “स्मार्ट” हो…
आपको “स्मार्ट” बनने में अभी और वक्त लगना हैं !!!

|| वंदेमातरम् ||