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गीता कि वापसी, पाक कि “नापाक” सियासत

पाकिस्तान से जुडी खबरों में जहाँ मात्र भारत विरोधी गंध ही मिलती हैं वहीं “गीता” के पुनः भारत लौटने वली खबर थोडा हट के हैं…और संदेह से भरपुर!

संदेह!!!

जहाँ पाकिस्तान ने १९% हिंदु आबादी को तरह-तरह की दरींदगी से काट कर १.५% पर ला दिया हो वहाँ से एक हिंदु लडकी का सही सलमत वापस आना क्या संदेहास्पद नहीं?

जाहीर हैं यह पाकिस्तान कि किसी ना किसी रणनीती का हिस्सा ही हैं| लेकिन वह रणनीती क्या हैं?

इस खबर का विश्लेषण तो जरूरी हैं…
> जहाँ पाकिस्तान अंतराष्ट्रीय स्तर के हर मुद्दो पर भारत से मुकाबले में धुल चाटता नजर आ रहा वहाँ “गीता” के मुद्दे को भुना कर दोनो देशो कि अवाम का ध्यान कुछ हद तक बाँटना चाहता हैं|
> अंतराष्ट्रीय मंच पर अपनी गिरती साख को बचाने के लिये भी पाकिस्तान ने “गीता” का इस्तेमाल किया|
> पाकिस्तान ने एक बोलने-सुनने में असमर्थ लडकी को चुन कर भेजा जो चाह कर भी अपनी आप-बीती व वहाँ के अन्य हिंदुऔ कि दशा किसी के सामने आसानी से बयाँ भी ना कर सके|
> “गीती” के साथ आये पाक अधीकारीयों ने तो भारत कि धरती पर उतरते ही तुरंत अपना रंग दिखा दिया यह कहकर कि अब भारत को भी भारतीय जेलो में बंद पाकिस्तानीयो को पाक भेजने कि पहल करनी चाहिये, जो की एक तरह कि सौदेबाजी के लिये भारत पर दबाव बनाने जैसा था|

इस विश्लेषण कि पुष्टी का सबसे बडा सबुत हमारे देश कि पाक-परस्त मिडिया जिनमे NDTV, ABP News, TimesNow व आजतक जैसों का इस मुद्दे को अतिभावुक तरीके से पेश करना था| ये पुरी तरह से पाकिस्तान कि “नापाक” इरादों को अंजाम देने में लगेहुवे थे और कई घंटो तक का कवरेज दिया|

अगर इन्हे हिंदुस्तानी लडकीयों कि इतनी ही चिंता होती तो पिछले १० सालों से पाकिस्तान में हिंदु स्त्रीयों पर हो रही बर्बता पर कभी केवल कुछ ही घंटे भी दिये होते तो शायद सेकडों स्त्रीयों कि लाज बच जाती|

वाकई में किसी ने ठिक ही कहा हैं – असली खबर वहीं हैं जिसे कोई दबाना चाहे बाकि सब तो सिर्फ विज्ञापन हैं|

पाक में मिटाई जा रही लाखो हिंदुऔ कि आबादी जो कि अहम मुद्दा हैं और जिसे अब तक मिडीया जगत दबाता आ रहा लेकिन एक “गीता” कि वापसी जैसी खबर से पाकिस्तान के झुठे दया भाव को उभारकर जेहादी मानसिकता वाले देश का प्रचार कर रहा|

ध्यान रहे, हमारी मिडीया में पाकिस्तान से जुडी किसी भी भावुक घटनाऔ पर मिडीया कि रिपोर्टींग शत-प्रतीशत प्रायोजीत ही होती हैं, धोखे से बचे|

“गीता” के वापसी कि खबर में संतोष जनक मात्र इतना ही हैं कि पाक में जहाँ दुसरी हिंदु स्त्रीयाों को नर्क कि जिंदगी जीने को मजबुर कर दिया गया वहीं भले ही “नापाक” इरादे से ही सही, कम-से-कम एक “गीता” वापस तो लोट सकी!

जागो और जगाऔ, देश बचाऔ

|| वंदेमातरम् ||

अपनी चुप्पी तोडो
और बिंदास बोलो…..कमेंट करे

क्या सब्जी-दाल ही जिंदगी हैं!!!

क्या सब्जी-दाल ही जिंदगी हैं!!!

कुछ अती बुद्धीमान एक बेनर बेहद ज्यादा शेयर करने में लगे हुवे हैं जिसमे अनाजो के बढे हुवे भाव बता कर जताया गया हैं कि एसे अच्छे दिनो के बजाय उन्हे पिछली सरकार वाले बुरे दिन वापस चाहिये 😱

वाकई कितने अच्छे दिन थे पीछली सरकार के…
— जब एक हि परिवार का राज था और बेटी-दामाद तक Z+ सेक्युरिटी में सरकारी पैसो पर घुमते हुवे किसानो कि सेकडो एकड जमीन हथीयाना नीरंतर जारी था
— जब आये दिन अरबो-खरबो के घोटाले सुनने मे आते थे और उनके मंत्री zero loss के पाठ पढाते थे
— जब गांधी परिवार पुरी सिद्धत से ईसाई धर्म फैलाने में लगा हुवा था और गाँव के गाँव घर्मांतरण कि लपेट में आ रहे थे लेकिन किसी मिडीया की हिम्मत नहीं हो पाती कि वो भौक सके
— जब मुस्लीम वोट बँक व तुष्टीकरण के लिये हिंदु के खिलाफ सेकडो षडयंत्र जैसे लव जिहाद, बंगलादेशी घुसपेठ व मुस्लीम बहुल इलाको से हिंदुऔ का नीकल धडल्ले से चल रहा था लेकिन किसी सरकारी तंत्र कि मजाल नहीं हो पाती कि वे कानुन का डंडा चला सक्
— जब सेकुलरवाद अपने चरम पर था, भारतीय संस्कृती पुरी तरह मिटाये जाने के कगार पर पहुँच चुकि थी और हिंदु आतंकवाद का जुमला मढा जा रहा था यहाँ तक कि “संप्रदाय विरोध” कानुन ला कर हिंदुऔ को दंगाई साबीत करने कि पुरी तयारी कि जा चुकी थी
— जब चीन बार-बार आँखे दिखाकर बेधडक भारतीय सिमा में घुस कर भारती सेना का मजाक उडाता था और बंगलादेश कि सिमायें भारत में जिहादी जनसंख्या के विस्तार में लगी थी
— जब पाकिस्तानी सेनीक सिमा पार से गोलीया चला-चला कर हमारे भारतीय सेनीको और गाँवो को जब चाहे नीशाना बनाते थे और हमारे सेनीको के हाथ सरकारी तंत्र से बांध दिये गये थे यहाँ तक कि जवाने के सिर कि किमत भी मात्र एक फुटबाल बन कर रह गयी
— जब हमारी सेना के शस्त्र भंडार पुरी तरह खाली थे और पाक-चीन निरंतर युद्ध के हालात पैदा कर रहे थे
— जब विकसीत देश भारत के साथ खडा नहीं होना चाहता था और विदेश में रहने वाले भारतीयों भी खुद को पहचानना नहीं चाहते थे
— जब उद्योग-धंधे तबाह हो रहे थे, उत्पादन का घला घौटा जा रहा था और किसानो कि खेती भी उजाडी जा रही थी
— जब खरबो रूपये लुटवा कर भी गंगा मेली थी, देश के ग्रंख – गीता, रामचरीत मानस भुलाये जा रहेथे और गौ-माता मात्र गौ-मांस के रूप में विदेशो को परोसी जा रही थी

बहोत कुछ हैं लिखने को मगर जो इतने में भी ना समज सके उसे तो समजाने कि भी कोई इच्छा नहीं!

इन मंदबुद्धी कि सोच दाल सब्जीयों कि किमतों से ज्यादा चल ही नहीं सकती 👿

इन्हे वाकई में अच्छे और बुरे दिनो कि पहचान ही नहीं…इनको तो जिंदगी सुबह-शाम मात्र खुद के पेट भरने और नीजी सुख में ही गुजरनी हैं…इनके पास विचारों पुरी तरह आकाल नजर आता हैं जिनके तहत “अच्छे दिन” कि परिभाषा मात्र नीजी स्वार्थ में नजर आती हैं  #$$%*%@£¢€

लेकिन कुछ हम जैसे भी हैं जिनके नजर में “अच्छे दिन” का मतलब मात्र देश के सम्मान, स्वाभीमान व अभीमान से जुडा हुवा हैं जो आजादी के बाद से आज तक निरंतर गिरता जा रहा था और आज फिर से उठता नजर आ रहा….जहाँ तक दाल-सब्जी कि किमत  सवाल हैं तो भले ही वे और चार गुना बढ जाये…हैसियत होगी तो खा लेंगे नहीं तो भुखे मरना भी पंसद होगा लेकिन देश के सम्मान पर तो आँच नहीं आयेगी

इन बढती किमतो पर आज एक विश्वास यह भी हैं कि भले ही मंहगाई कितनी भी बढे…इसका कारण बाजार में इनकी कमी हैं ना कि कोई घौटाला!!!

जय माँ भारती,
हम दिन रहे ना रहे चार
तेरा वैभव सदा बना रहे…

|| वंदेमातरम् ||

” जिन्होने एसे बेनर काॅपी-पेस्ट से शेयर किये शायद उन्हे अपनी करतुत पर शर्म आई हो….इस पोस्ट को उनके चहरो पर अवश्य मारे जिन्होने आपको एसे बेनर पहुँचाये “

सेक्युलरवाद के अंत का शंखनाद

सेक्युलरवाद के अंत का शंखनाद
बीहार चुनाव से होगी शुरूवात!!!

हाल ही में जम्मु-कश्मीर के पुर्व मुख्यमंत्री उमर अबदुल्ला ने अपनी जात दिखाते हुवे बयान दिया कि इंजीनीयर रशीद, जिसने गौ-मांस कि पार्टी दि थी, उसने कुछ भी गलत नहीं किया|

उमर ने कहा कि जिस प्रदेश में हिंदु बहुमत में हैं यदी वहाँ उनकी भावना को समझते हुवे गौ-मांस को प्रतीबंधीत किया जा सकता हैं तो यहाँ कश्मीर में हम मुस्लीमो का बहुमत हैं और हमें भी हक हैं कि हम गौ-मांस को खा सके, यह हमारे धर्म के अनुसार जायज भी हैं| उन्होने रशीद का पक्ष लेते हुवे कहा कि गौ-मांस कि पार्टी दे कर रशीद ने कोई कानुन नहीं तोडा फिर उसे किस बात कि सजा दि जा रही|

उमर के इन बयानों से यह सपष्ट हो जाता हैं कि इन जैसे हरामीयों को सिर्फ कानुन के डंडे कि भाषा ही समझाई जा सकती हैं| यह हमें कश्मीर सहीत संपुर्ण भारत में गौ-हत्या रूकवानी हैं तो संवीधान के तहत कानुन बनाना बेहद जरूरी हैं| जिसके लिये राज्यसभा में मोदी सरकार को बहुमत कि जरूरत होगी|

मौजुदा बीहार व उत्तर प्रदेश के चुनाव इस लिहाज से भी बेहद महत्तव पुर्ण हो गये हैं जिसमें बीजेपी का भारी मतो से जितना जरूरी हैं| इसके बाद ही मोदी सरकार कुछ कडे फैसले लेने में सक्षम हो सकेगी जिसमें common civil code, कश्मीर से धारा ३७० का खात्मा, राममंदीर का नीर्माण जैसे अहम मुद्दे शामील हैं| अगर ये मुद्दे सुलझाने में मोदी सरकार सफल हो जाती हैं तो देश से सेक्युलरवाद का अंत भी नीश्चित हो सकता हैं|

लोकसभा चुनाव से कांग्रेस कि उल्टी गीनती शुरू हुई थी अब बीहार चुनाव से सेक्युलरवाद के खात्मे कि उल्टी गीनती शुरू होगी| हर हिंदु को जातीवाद से मुक्त संघठित हो कर हिंदु-वोक बँक कि तरह बीजेपी को जिताना ही होगा| हिंदु हित का देश बनाना हैं तो हिंदु वोट बँक के सुत्र को यथार्थ में बदलना ही होगा|

कांग्रेस मुक्त भारत तो सफल हो रहा
अब सेक्युलरवाद से भारत को मुक्त करना हैं|

|| जयतु जयतु हिंदुराष्ट्र ||

हिंदुराष्ट्र का षडयंत्र !!!!!

#हिंदुराष्ट्र का षडयंत्र !!!!!!!!

लालु व मायावती जैसे सेक्युलर मुर्ख बीजेपी व संघ पर आरोप लगा रहे कि वे भारत को हिंदुराष्ट्र बनाने का षडयंत्र रच रहे!!! अब बताऔ, यह बीजेपी का दुष्प्रचार हैं या ‘प्रचार’!

एक हिंदु के लिये इन मुर्खो के इस आरोप में संपुर्ण देश का उज्वल भविष्य नजर आना ही चाहीये| बीजेपी-संघ अगर इस राह पर ना भी हो तो हर भारतीय कि यही कोशिश होनी ही चाहीये कि काम-दाम-दंड-भेद, हर संभव तरीके से राजनेतीक इच्छाशक्ती को हिंदुराष्ट्र के पथ पर अग्रसीत कर सके|

एक हिंदु होते हुवे भी जिस हिंदु को भारत के हिंदुराष्ट्र होने में आपत्ती नजर आये और यह जानने के बाद भी जो हिंदु एसे संघठनो को यदी समर्थन करने से पीछे हटे, उसे वास्तव में स्वयं का DNA जाँच करवा लेना चाहीये … जरूर उसका खानदान किसी बाबर या अंग्रेज की नाजायज औलाद के फल स्वरूप ही होगा|

> इस देश का हिंदुराष्ट्र होना ही इस देश को एक शक्तीशाली सुरक्षा कवच प्रदान कर सकता हैं|
> इस देश का हिंदुराष्ट्र होना ही इस देश के सभी धर्मों व माताऔ का सम्मान बनाये रख सकता हैं|
> इस देश का हिंदुराष्ट्र होना ही भारत विरोधी सारी विदेशी शक्तीयों के षडयंत्रो को धराशाही कर सकता हैं|

हिंदुराष्ट्र कि परिकल्पना पर अपना आत्मचिंतन कर इसके पक्ष में स्वयं भी उतरे व औरों को भी उतारे क्यँ की यही एक मात्र विकल्प हैं देश को खंडीत होने से बचाने का|

बहोत बट चुका खंड खंड में राष्ट्र
अब हर भारतीय को जगाना ही होगा
इससे पहले कि मिट जाये हस्ती हमारी
हमें हिंदुराष्ट्र का परचम लहराना ही होगा

|| जयतु जयतु हिंदुराष्ट्र ||

इस विषय पर आपके विचार/बहस/प्रश्न सदेव आमंत्रीत हैं…कमेंट करे|

जिवीत इंसान और मृत जीवन

*गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस के लंकाकांड में एक प्रसंग आता है, जब लंका दरबार में रावण और अंगद के बीच संवाद होता है। इस संवाद में अंगद ने रावण को बताया है कि कौन-कौन से 14 दुर्गण या बातें आने पर व्यक्ति जीते जी मृतक समान हो जाते हैं।

आज भी यदि किसी व्यक्ति में इन 14 दुर्गुणों में से एक दुर्गुण भी आ जाता है तो वह मृतक समान हो जाता है। यहां जानिए कौन-कौन सी बुरी आदतें, काम और बातें व्यक्ति को जीते जी मृत समान बना देती हैं।

1. कामवश
जो व्यक्ति अत्यंत भोगी हो, कामवासना में लिप्त रहता हो, जो संसार के भोगों में उलझा हुआ हो, वह मृत समान है। जिसके मन की इच्छाएं कभी खत्म नहीं होती और जो प्राणी सिर्फ अपनी इच्छाओं के अधीन होकर ही जीता है, वह मृत समान है।

2. वाम मार्गी
जो व्यक्ति पूरी दुनिया से उल्टा चले। जो संसार की हर बात के पीछे नकारात्मकता खोजता हो। नियमों, परंपराओं और लोक व्यवहार के खिलाफ चलता हो, वह वाम मार्गी कहलाता है। ऐसे काम करने वाले लोग मृत समान माने गए हैं।

3. कंजूस अति कंजूस व्यक्ति भी मरा हुआ होता है। जो व्यक्ति धर्म के कार्य करने में, आर्थिक रूप से किसी कल्याण कार्य में हिस्सा लेने में हिचकता हो। दान करने से बचता हो। ऐसा आदमी भी मृत समान ही है।

4. अति दरिद्र गरीबी सबसे बड़ा श्राप है। जो व्यक्ति धन, आत्म-विश्वास, सम्मान और साहस से हीन हो, वो भी मृत ही है। अत्यंत दरिद्र भी मरा हुआ हैं। दरिद्र व्यक्ति को दुत्कारना नहीं चाहिए, क्योकि वह पहले ही मरा हुआ होता है।

5. *विमूढ़*अत्यंत मूढ़ यानी मूर्ख व्यक्ति भी मरा हुआ होता है। जिसके पास विवेक, बुद्धि नहीं हो। जो खुद निर्णय ना ले सके। हर काम को समझने या निर्णय को लेने में किसी अन्य पर आश्रित हो, ऐसा व्यक्ति भी जीवित होते हुए मृत के समान ही है।

6. *अजिसी*जिस व्यक्ति को संसार में बदनामी मिली हुई है, वह भी मरा हुआ है। जो घर, परिवार, कुटुंब, समाज, नगर या राष्ट्र, किसी भी ईकाई में सम्मान नहीं पाता है, वह व्यक्ति मृत समान ही होता है।

7. सदा रोगवश जो व्यक्ति निरंतर रोगी रहता है, वह भी मरा हुआ है। स्वस्थ शरीर के अभाव में मन विचलित रहता है। नकारात्मकता हावी हो जाती है। व्यक्ति मुक्ति की कामना में लग जाता है। जीवित होते हुए भी रोगी व्यक्ति स्वस्थ्य जीवन के आनंद से वंचित रह जाता है।

8. अति बूढ़ा अत्यंत वृद्ध व्यक्ति भी मृत समान होता है, क्योंकि वह अन्य लोगों पर आश्रित हो जाता है। शरीर और बुद्धि, दोनों असक्षम हो जाते हैं। ऐसे में कई बार स्वयं वह और उसके परिजन ही उसकी मृत्यु की कामना करने लगते हैं, ताकि उसे इन कष्टों से मुक्ति मिल सके।

9. संतत क्रोधी 24 घंटे क्रोध में रहने वाला भी मृत समान ही है। हर छोटी-बड़ी बात पर क्रोध करना ऐसे लोगों का काम होता है। क्रोध के कारण मन और बुद्धि, दोनों ही उसके नियंत्रण से बाहर होते हैं। जिस व्यक्ति का अपने मन और बुद्धि पर नियंत्रण न हो, वह जीवित होकर भी जीवित नहीं माना जाता है।

10. अघ खानी जो व्यक्ति पाप कर्मों से अर्जित धन से अपना और परिवार का पालन-पोषण करता है, वह व्यक्ति भी मृत समान ही है। उसके साथ रहने वाले लोग भी उसी के समान हो जाते हैं। हमेशा मेहनत और ईमानदारी से कमाई करके ही धन प्राप्त करना चाहिए। पाप की कमाई पाप में ही जाती है।

11. तनु पोषक ऐसा व्यक्ति जो पूरी तरह से आत्म संतुष्टि और खुद के स्वार्थों के लिए ही जीता है, संसार के किसी अन्य प्राणी के लिए उसके मन में कोई संवेदना ना हो तो ऐसा व्यक्ति भी मृत समान है। जो लोग खाने-पीने में, वाहनों में स्थान के लिए, हर बात में सिर्फ यही सोचते हैं कि सारी चीजें पहले हमें ही मिल जाएं, बाकि किसी अन्य को मिले ना मिले, वे मृत समान होते हैं। ऐसे लोग समाज और राष्ट्र के लिए अनुपयोगी होते हैं।

12. निंदक अकारण निंदा करने वाला व्यक्ति भी मरा हुआ होता है। जिसे दूसरों में सिर्फ कमियां ही नजर आती हैं। जो व्यक्ति किसी के अच्छे काम की भी आलोचना करने से नहीं चूकता। ऐसा व्यक्ति जो किसी के पास भी बैठे तो सिर्फ किसी ना किसी की बुराई ही करे, वह इंसान मृत समान होता है।

13. विष्णु विमुख जो व्यक्ति परमात्मा का विरोधी है, वह भी मृत समान है। जो व्यक्ति ये सोच लेता है कि कोई परमतत्व है ही नहीं। हम जो करते हैं, वही होता है। संसार हम ही चला रहे हैं। जो परमशक्ति में आस्था नहीं रखता है, ऐसा व्यक्ति भी मृत माना जाता है।

14. संत और वेद विरोधी जो संत, ग्रंथ, पुराण और वेदों का विरोधी है, वह भी मृत समान होता है।
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मृत शरीर को जला देने से भी कोई पीडा नहीं होती और जिवीत शरीर एक छोटे से काँटे कि चुभन भी नहीं सहन कर पाता हैं|

आज के परिवेश में कई लोगों का जिवन पुर्णतया मृत समान बन गया हैं जब बडे-से-बडा अपघात धर्म, संस्कृती, मान व सम्मान पर हो जाने पर भी वे  अपनी दिन चर्या से बाहर नहीं नीकल पाते, यहाँ तक की इन्हे ज्ञात भी नहीं होता, एसा जिवन मृत समान हैं क्युँ की वे स्वयं की व राष्ट्र कि रक्षा करने में सक्षम हो ही नहीं सकते|

जो सचेत, जागरूक, सतर्क हैं वही राष्ट्र का रक्षक हैं|

|| वंदेमातरम् ||