स्टार-प्लस पर दिखाई जा रही महाभारत में चाहे वो अभीमन्यु कि विरगती हो या दुःशाशन वध, इन द्रश्यों को काफी ही रक्त-रंजीत कर उस समय की यथास्थिति को इस तरह जिवंत कर दिया की कई अहिंसा प्रेमियों को पसंद ना आया हो और उन्होने चैनल तक बदल दिया हो…
लेकिन हमारे अतीत की वो सच्चाई जो हमारे धर्म और मनुष्य जीवन का आधार हैं, सभी को उसके जिवंत स्वरूप में अवश्य ही देखना और समझना चाहीये क्यूंकि हिंसा भले ही अमानवीय जरूर हो लेकिन धर्म की रक्षा हुतु इसके लिए भी तैयार रहना उतना ही जरूरी हैं जितना की जीने के लिए “सांस” लेना।
इसलिए तो गीता में श्रीकृष्ण ने कहा हैं : अहिंसा परमो धर्मः धर्महिंसा तथैव च:
(यदि अहिंसा परम् धर्म है, तो धर्म के लिए हिंसा भी परम् धर्म है)
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