वसुंधरा तेरी खेर नहीं … अब देखलो परिणाम!

वसुंधरा तेरी खेर नहीं

राजस्थान के पिछले चुनाव में यह नारा तो काफी चर्चा में रहा और संभवत यही कारण था कांग्रेस की जीत का। इसके परिणाम लगभग 4 साल में हमने कई मौकों पर महसूस किया ऐसा ही और एक मौका हाल ही घटित हुआ।

जयपुर ब्लास्ट के चार आरोपी, जिन्हें हम आतंकवादी भी कह सकते हैं, निचली अदालत ने इन्हें फांसी की सजा दी थी लेकिन अब हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में रिहा कर दिया।

गौर करने वाली बात यह है कि इन्हें रिहा करते हुए हाईकोर्ट के जजों ने जो बात कही वह राजस्थान एटीएस के लिए ऐतिहासिक शर्म की बात रही।

अपने फैसले में जजों ने कहा की राजस्थान की एटीएस को जांच करना नहीं आता यहां तक की उन्हें जांच करने के नियम तक नहीं पता और भी बहुत कुछ कहा और साथ ही एटीएस डीआईजी को जांच अधिकारियों पर लापरवाही से जांच करने के आरोप में दंडित करने का आदेश दिया।

तो इसका अर्थ क्या निकाला जाए या तो एटीएस को वाकई जांच करना नहीं आता जोकि संभव नहीं तो दूसरा अर्थ यही हुआ ना की राजस्थान एटीएस आतंकवादियों को बचाने में लगी थी

निचली अदालत ने बिना किसी सबूत के इन्हें फांसी की सजा तो नहीं दी होगी। यदि वह सारे सबूत हाईकोर्ट को उपलब्ध कराए जाते तो हो सकता है सजा कम होती पर कुछ तो होती।

तो यहां राजस्थान एटीएस एक बलि का बकरा जरूर बनी किंतु एटीएस को ना काम न करने देने वाली राजस्थान सरकार क्या अपने आप को बचा पाएगी। आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति व उन पर उदारता का आचरण कांग्रेस के चरित्र में हमेशा झलकता रहा है। देश में जगह-जगह आतंकी हमलों का वो २०१४ के पुर्व का माहौल भुला नहीं जा सकता। और वही आचरण को कांग्रेस की राजस्थान सरकार ने एक बार पुनः सिद्ध किया।

तो अब आतंकवादियों की जमात को तो पता ही है कि उन्हें किस सरकार से लाभ मिलता है लेकिन राजस्थान की आम जनता को इस पर गहरा चिंतन करने की आवश्यकता है कि उन्हें कौन सुरक्षित रख सकता हैं।

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