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स्वदेशी ब्रांड अमुल पर षड्यंत्र Information warfare का ज्वलंत उदाहरण

हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो बहुत ही तेजी से फैलाया गया जिसमें अमूल की लस्सी के पैक काट काट कर दिखाया गया था कि अमूल की लस्सी के पेक में फंगस मिल रहे थे। वीडियो में लगभग तीन से चार पैक काट कर के दिखाया गया जिसमें सभी में फंगस निकले। गौर करने वाली बात यह है इस वीडियो में ही यह भी स्पष्ट दिख रहा था कि जहां से स्ट्रा पाइप लगाया जाता है वहां पर पहले से ही छेद था। मतलब की ऐसा वीडियो बनाने के लिए पहले इन पर छेद किए गए फिर इन में फंगस जमने दिया गया और फिर वीडियो बनाया गया।

प्रश्न उठता है कि आखिर ऐसा क्यों किया गया जिसका उत्तर बहुत ही सरल है कि भारत की स्वदेशी ब्रांड अमूल के खिलाफ षड्यंत्र रचा जाए जैसा कि वीडियो में भी स्पष्ट नजर आ रहा है। अब यह षड्यंत्र किसने रचा इस पर जरूर विचार किया जा सकता है।

विदेशी हाथ: जिस तरह लोग जागरूक हो रहे हैं और इस गर्मी में भी लोग छाछ या लस्सी की तरफ आकर्षित हुए हैं उस तरह से विदेशी कोल्ड ड्रिंक का धंधा लगभग खत्म सा होता जा रहा हैं। और ऐसे वीडियो से इन विदेशियों के उत्पाद को ही बढ़ावा मिलेगा।

औंछी राजनीति: हाल ही में हमने अनुभव किया है कि कुछ राजनीतिक विरोधी दल सत्ता पक्ष के विरोध में इस कदर उतर जाते हैं कि उनके और देश विरोधियों के सूर एक समान प्रतीत होते हैं। और हमने यह भी देखा कि अपनी राजनीति में कई बार उन्होंने गुजरात के अमूल ब्रांड को भी निशाना बनाया। अमूल को निशाना बनाना इनके लिए कोई बड़ी बात नहीं हैं। विरोधी दल जब सत्ता पक्ष के विरोध करते-करते राष्ट्र विरोधी ताकतों के सात सुर में सुर मिला सकते हैं तो यह तो बहुत छोटी बात हैं।

कारण कुछ भी हो किंतु इस घटना से भी एक बात स्पष्ट हो जाती है कि हम भारतीय लोग स्वयं जहां विदेशी जहरीले उत्पादों पर आंख मूंद कर भरोसा करते हैं वही अपने देश की स्वदेशी उत्पादों पर भरोसा नहीं करते और इन्हें बदनाम करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। फिर चाहे वह पतंजलि, हो या अमुल।

सोशल मीडिया के इस दौर में अफवाह फैलाना बहुत आसान है लेकिन वही सत्य को फैलाना बहुत ही मुश्किल हो चुका है। ऐसा हम भारतीयों की अपने देश, अपने संतो, अपने कर्मठ नेताओं वह अपने स्वदेशी उत्पादों के प्रति संकुचित मानसिकता के कारण है। जिसका लाभ षड्यंत्रकारी बखूबी उठाते आ रहे हैं। ध्यान रहे इन अफवाहों को साधारण समझने की भूल ना करें यह एक “सूचना युद्ध” (information warfare) हैं। इस युद्ध में हमारी मंदबुद्धि ही षड्यंत्रकारीयों का प्रमुख हथियार हैं, कृपया इसे समझे।

अमुल के इस षड्यंत्रकारी वीडियो का ही उदाहरण लीजिए, इस वीडियो को बनाने वाले अवश्य षड्यंत्रकारी थे किंतु इसे फैलाने वाले आप और हम में से ही लोग हैं। जब तक आप और हम इन विषयों पर सतर्क रहने के लिए आत्ममंथन नहीं करेंगे तब तक इस तरह की युद्ध से हम स्वयं व अपने देश को नहीं बचा सकेंगे।

जागो और जगाओ। देश बचाओ।