भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियों द्वारा इस खुलासे से कि समझौता ब्लास्ट मामले में पुरोहित व अन्यो के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं हैं, कांग्रेस के देशद्रोही चेहरे को एक बार फिर से उजागर कर दिया है।
UPA के समय में ही समझौता ब्लास्ट व मालेगांव ब्लास्ट के तुरंत बाद सौंपी गई NIA रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से हमले कि साजिश के तार पाकिस्तान व बंग्लादेश से जुडे होने कि बात कही गई थी लेकिन कांग्रेस सरकार के मंत्रियों ने उदे दर किनार कर हमले का दोष पुरी तरह से RSS व VHP के कार्यकर्ताओं के सिर लगाया।
इससे पूर्व भी इशरत के मामले में सोनिया सरकार के गृह मंत्री के झूठे शपथ पत्रों से यह सिद्ध हो चुका हैं कि वे आतंकियों को बचाने के लिए हिंदू नेताओ और संतो पर झूठे मामले दर्ज करते थे। कांग्रेस के मोदी के खिलाफ ‘झुठे एंकाऊंटर’ कि धज्जीया तब से उडनी शुरू हो गई थी जब से अमेरिका में कैद आतंकी डेविड हेडली ने इशरत को आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा कि आत्मघाती दल का हिस्सा बताया था।
भारत के खिलाफ रची गई एसी घीनोनी व राष्ट्रद्रोही हरकत के पीछे कांग्रेस के तीन लक्ष्य साफ तौर से उभरकर आते हैं…
पहला – RSS व VHP जैसी राष्ट्रवादी संगठनों कि साख को धुमील करना जिससे वे आम जनता के लिये अपेक्षीत बने रहे।
दुुसरा – इस तरह से वे पूरे भारत में सांप्रदायिक कट्टरता को बढावा देने कि कोशिश में लगे थे जिससे अल्पसंख्यक वोट बैंक डर कर उनके पक्ष में खडा रहे।
तीसरा – विश्व स्तर पर हिंदू-आतंकवाद को मुद्दा बनाकर पुरे विश्व में भारत को बदनाम करना जिससे भारत कि पहचान भी आतंक समर्थित देशों मे होने लगे जिसमें सिधा फायदा पाकिस्तान का था जो कश्मीर मुद्दे पर त्रिपक्षीय वार्ता कि मंशा को पुरा कर सकता था।
इस संबंध के कुछ ध्यान देने वाले तथ्य….
समझौता ब्लास्ट में जहाँ कर्नल पुरोहित व चार अन्य पिछले 9 साल से जेल में बंद हैं वहीं मालेगांव ब्लास्ट में साध्वी प्रज्ञा सिंह सहित अन्य सात-सालों से जेल में बंद हैं। यहाँ तक कि जेल में ही साध्वी प्रज्ञा कैंसर से भी ग्रसित हो चुकी हैं लेकिन अदालतों से जमानत भी नामंजूर ही कि गई। यह जान कर और भी हैरत होगा कि अब तक सबूत के अभाव में इनके खिलाफ एक भी चार्जशीट तक दाखिल ना हो सकी। इसी तरह इशरत जहां केस में बंजारा जैसे अधिकारी जिनको पुरस्कृत किया जाना चाहिए था उन्हे भी चार साल जेल में बंद कर रखा गया।
इन सबकी गलती मात्र इतनी ही थी कि ये राष्ट्रवादी संगठनों से जुडे थे, देश के लिये कार्यरत थे व हिंदु समुदाय से थे।
पहले सिमी जैसे देशद्रोही संगठनो को समर्थन और उसके बाद बिना सबूतों के हिन्दू आतंकवाद शब्द को गढ़ना, यह बताता है कि सोनिया गाँधी सत्ता प्राप्त करने के लिए किसी भी सीमा तक जाकर देश को नुकसान पंहुचा सकती है। सोनिया ने न केवल आतंकियों के हौंसले बढ़ाये हैं अपितु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का मजाक बनवाया है। इन्होने झूठे मामलों में हिन्दुओ को फंसाकर अल कायदा के सहायक बनकर असली आतंकियों को छोड़ने का अपराध भी किया है।
कांग्रेस के इस षडयंत्र में फँस कर मैकाले कि शिक्षा से शिक्षित एक वर्ग व इनके साथ बिकाऊ मिडिया RSS व VHP कि तुलना आतंकी संगठनों से करने को तुली रहती हैं। आज यह वर्ग व विदेशी मिडिया देश व संस्कृति के लिये आवाज उठाने वाले हर शख्स को एक संघी का ठप्पा लगाकर पेश करता आया हैं।
देश की सुरक्षा से जुड़े इन अति संवेदनशील मामलों में कांग्रेस की यह कार्यवाही एक अपराधिक षड़यंत्र है। इन अपराधों के लिये सोनिया -राहुल पर राष्ट्रद्रोह का केस बनता हैं। एसे षडयंत्रों के लिए जनता की जागरूकता ही एक मात्र उत्तर बन सकती हैं।
|| जय हिंद ||