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हिंदी दिवस पर संकल्प

14 सितंबर को हमने हिंदी दिवस मनाया एक दूसरे को शुभकामनाएं दी…अब क्या हम कल हिंदी-दिवस को भूल जाएंगे और फिर से अपनी दिनचर्या में अंग्रेजी/उर्दू/अरबी शब्दों का उपयोग करते रहेंगे!

क्या कुछ ऐसी शुरुआत नहीं कर सकते जिसमें हम अपनी दिनचर्या में उपरोक्त विदेशी भाषाओं के शब्दों का त्याग करें और शुद्ध हिंदी में बात करने का एक अनोखा प्रयास करें।

::: कैसे करें शुरुआत :::

✓ हर किसी को जन्मदिन अथवा कोई भी शुभकामना केवल और केवल हिंदी में ही दे व अन्य से भी हिंदी में ही स्वीकार करे।
जैसे –
☝️जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं
☝️धन्यवाद
☝️बहुत बहुत आभार

✓ अपनी दिनचर्या में अंग्रेजी, उर्दू व अरबी शब्दों को पहचान कर उनका त्याग
जैसे –
❌ मुबारक ✅ शुभकामनाएं
❌ औरत ✅ स्त्री, महिला
❌ शहीद ✅ वीरगति

✓ जब भी हम किसी का भी नाम ले तो उससे पहले उस नाम के वंदन को शुद्ध हिंदी में ही लें
जैसे –
 पुरुष के लिए “श्री”
 महिला के लिए “श्रीमती”
戮 बच्चों के लिए “कुमार”, “कुमारी”

शुद्ध हिंदी में वार्तालाप के कई लाभ भी हैं जैसे कि…

— हिंदी से हमारा आत्मविश्वास बढ़ता हैं।
— हमारी मातृभाषा हम में स्वाभिमान जगाती हैं।
— शुद्ध हिंदी सहज सरल और मृदुभाषी जिसे अपनाकर हम अपने परिवार वह भाई बंधुओं मैं अपने व्यवहार को मजबूत कर सकते हैं।
— हम यदि शुद्ध हिंदी अपनाते हैं तो वह हमें अपनी संस्कृति अपनी मातृभूमि से जोड़ती हैं।
— हमारी संस्कृति हमें धर्म रक्षक व राष्ट्र रक्षक बनने को प्रेरित करेगी।

हिंदी दिवस पर मात्र शुभकामनाएं का आदान-प्रदान तब तक प्रभावी नहीं हो सकता जब तक की हम शुद्ध हिंदी को अपनाने का कोई प्रयास ना करें। अतः प्रत्येक हिंदी दिवस को यह प्रण अवश्य लें कि हम अपनी दिनचर्या की भाषा में अंग्रेजी, उर्दू अथवा अरबी जैसी विदेशी भाषाओं के शब्दों का उपयोग नहीं करेंगे।

आशा हैं कि इस लेख से आप मातृभाषा के हित में यथा संभव संकल्पित होंगे।

वंदेमातरम।