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क्या एक राज्यस्तरीय परीक्षा से राज्य सरकार के हाथ-पैर फूल सकते हैं? : REET परीक्षा राजस्थान

मोदी सरकार के रूप में हमने ऐसी सरकारी देखी हैं जिसमें असंभव से असंभव लगते हुए विषय जीन पर पुर्वानुमान यह रहता था कि देश में तांडव हो जाएगा, देश बिखर जाएगा, लेकिन एसे विषयों को भी इस तरह सुलझा लिया कि सारे पुर्वानुमान गलत सिद्ध हो गए…इन विषयों में अयोध्या विवाद, धारा ३७०, तीन तलाक़ जैसे अनगिनत उदाहरण हमारे सम्मुख हैं।

लेकिन एक उदाहरण राजस्थान की सरकार ने भी हाल ही में प्रस्तुत किया… शिक्षक विभाग की भर्ती के लिए ली गई एक राज्यस्तरीय परीक्षा REET का… समझ में यह नहीं आ रहा था कि वास्तव में इस परीक्षा को व्यवस्थित रूप से पुर्ण कराने में सरकार के हाथ पांव फुले हुए थे अथवा आगामी चुनाव के चलते जबरन सरकार ने ही इस तरह का माहौल बना दिया कि जैसे जनता इस दबाव को महसूस करें व अंत में कहें कि अरे नहीं, सरकार ने व्यवस्था को गंभीरता से लिया!

संक्षिप्त में कहूं तो राजस्थान सरकार को एक परीक्षा सफलता पूर्वक संपन्न करवाने में या तो पसीने छूट गए या फिर सरकार ने जबरन समान्य माहौल में उबाल पैदा किया। दोनों ही अवस्था में आमजन को इस परीक्षा के नाम पर अनेकों प्रताड़ना झेलनी पड़ी। आमजन जीसे इस परीक्षा से कुछ लेना देना ही नहीं था।

इस परीक्षा कि व्यवस्था के चलते लगभग सभी रुटों पर यातायात में झुटि निजी बसों व सरकारी बसों की उपलब्धता में भारी किल्लत दिखाई पड़ी। यात्री अनेकों रूप में परेशान हुए। उदयपुर की बात करें तो शहर में किसी भी तरह की बसों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई वह भी एक दिन पुर्व ही अर्थात यात्रीयों की समस्या केवल एक दिन की नहीं, पुरे दो दिन की हुई। अब और एक बात गौर करें, निजी बसों पर रोक तो फिर भी समझले किंतु यह रोक अन्य राज्यों की सरकारी बसों पर भी थी! इसका क्या तुक! सरकारी बसों के लिए निर्धारित स्थानकों पर पहुंचना अनिवार्य होता हैं अब यदि उस स्थानक का मार्ग शहर के मध्य से ही निकलता हो तो! फिर उसे पुरा बायपास पकड़ कर, शहर के चक्कर लगा कर पहुंचना, यही विकल्प रहा और वह भी उन्हें तब पता चल रहा जब की वे आधे शहर में घुस चुके! और उन्हें रोका जा रहा। एसे निषेध कि पुर्व सुचना उन्हें शहर के मुख्य मार्ग के शुरुआत पर ही दि जा सकती थी, लेकिन एसी व्यवस्था नहीं थी। एसा एक नहीं जितनी भी अन्य राज्यों की निर्धारित सरकारी बसें आनी थी सभी को व उन पर सवार यात्रियों को ऐसी परेशानी उठानी पड़ी। और संभवतः यही स्थिति अन्य प्रमुख शहरों की भी होगी।

यात्रीयों की बदहाली के अलावा इस परीक्षा के लिए नेट व्यवस्था भी बाधित कर दी गई। अब यह भी जान लें कि कश्मीर के बाद राजस्थान का नेट बाधित करने वाले राज्यो में दुसरा स्थान बन चुका हैं। अब प्रश्न बनता हैं कि क्या वाकई राजस्थान का वातावरण कश्मीर समान आतंकवादी दबाव क्षेत्र बन चुका हैं या एसा प्रस्तुत करने का सुनियोजित घटना क्रम बनाया जा रहा।

कुलमिलाकर सारांश यह हैं कि एक केंद्र सरकार हैं जिसने पुर्वानुमान को कुचलते हुए गंभीर विषय को सुलझाते हुए सिद्ध कर दिया है कि गंभीर विषयों को सुलझाने की गंभीरता भी यदि अधिक हो तो बिना गंभीर महोल बनाए भी हल किए जा सकते हैं। वहीं साधारण विषय को भी यदी स्वार्थ सिद्धी नजरीए से प्रस्तुत किया जाए तो आवश्यकता अनुसार उसमें गंभीरता भरी जा सकती हैं जैसा कि राजस्थान सरकार ने REET परीक्षा करवा कर दिया हैं।