ए माँ मुझे भी सीखला दे
मैं भी सेना में जाउंगा
फाड़ के सीना दुश्मन का
सीमा पर तिरंगा लहराउंगा
सेना में जाना हैं अग्निपथ
जानता हूं इस बात को
बनके छोटा अग्निविर में भी
दिखा दुंगा अपने विस्वास को
मिला जो भी पल मुझे
भारत मां की सेवा कर आऊंगा
ए माँ मुझे भी सीखला दे…
हिम्मत क्या होगी दुश्मन की
मेरी सीमा में फिर घुसने की
खड़े रहुंगा जब सीमा पर
मैं भी बन के एक पहरी
तोड़ के दूश्मन की बाजुएं
वंदेमातरम चिल्लाउंगा
ए माँ मुझे भी सीखला दे…
जाग उठो ए मेरे देश के लोगों
वक्त यह अब केवल हमारा हैं
उनकी भूखमरी देख रही दुनिया
जिसने समझा था हम बेसहारा हैं
सीमा में उनकी जा कर उन्हें
दो -चार आने दे आउंगा
ए माँ मुझे भी सीखला दे…
पता नहीं कैसे कैसे लोग भी हैं अपने देश में
सेना के बलिदान को भी जो रखते संदेह में
एसे लोगो की बोली को में भी अपना बलिदान दिखउंगा
ए माँ मुझे भी सीखला दे
मैं भी सेना में जाउंगा
फाड़ के सीना दुश्मन का
सीमा पर तिरंगा लहराउंगा
~ रचयिता: संजय त्रिवेदी