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ए माँ मुझे भी सीखला दे, मैं भी सेना में जाउंगा

ए माँ मुझे भी सीखला दे
मैं भी सेना में जाउंगा
फाड़ के सीना दुश्मन का
सीमा पर तिरंगा लहराउंगा

सेना में जाना हैं अग्निपथ
जानता हूं इस बात को
बनके छोटा अग्निविर में भी
दिखा दुंगा अपने विस्वास को
मिला जो भी पल मुझे
भारत मां की सेवा कर आऊंगा

ए माँ मुझे भी सीखला दे…

हिम्मत क्या होगी दुश्मन की
मेरी सीमा में फिर घुसने की
खड़े रहुंगा जब सीमा पर
मैं भी बन के एक पहरी
तोड़ के दूश्मन की बाजुएं
वंदेमातरम चिल्लाउंगा

ए माँ मुझे भी सीखला दे…

जाग उठो ए मेरे देश के लोगों
वक्त यह अब केवल हमारा हैं
उनकी भूखमरी देख रही दुनिया
जिसने समझा था हम बेसहारा हैं
सीमा में उनकी जा कर उन्हें
दो -चार आने दे आउंगा

ए माँ मुझे भी सीखला दे…

पता नहीं कैसे कैसे लोग भी हैं अपने देश में
सेना के बलिदान को भी जो रखते संदेह में
एसे लोगो की बोली को में भी अपना बलिदान दिखउंगा

ए माँ मुझे भी सीखला दे
मैं भी सेना में जाउंगा
फाड़ के सीना दुश्मन का
सीमा पर तिरंगा लहराउंगा

~ रचयिता: संजय त्रिवेदी

विदेशी पूंजी, भारतीय फिल्मे, मिलावटी इतिहास

जब विदेशी हाथों की कठपुतलीयों ने भारत का इतिहास लिखा तो अकबर को महान, महाराणा व शिवाजी को पराजित, भगतसिंह को आतंकवादी, मुगलों को कला प्रेमी व अंग्रेजों को आधुनिक भारत का जनक बता दिया।

अब जब भारतीय इतिहास पर बनी फिल्मों में विदेशी पूंजी का निवेश हो रहा है तो भला उनसे ईमानदारी की अपेक्षा कैसे की जा सकती है। इन्होंने पहले भी भारतीय इतिहास का बंटाधार किया था और आज भी यह अपनी फिल्मों के जरिए हमें हमारे इतिहास से गुमराह करना चाहते हैं।

विदेशी पूंजी के निवेश से भारतीय इतिहास पर बनी फिल्मों में भी वे जातिवाद के जहर को उभारने में कोई कमी नहीं रखते।

ऐसी फिल्मों में खलनायक दमदार भूमिका में दिखाया जाता हैं जबकि हमारे वीर योद्धाओं को लाचार प्रस्तुत किया जाता हैं। और एक बात जो वे दिखाना नहीं भुलते वह हैं गांधीगिरी द्वारा फैलाया गया सड़ा हुआ सेकुलरिज्म जिसका पूरा दामोदार सिर्फ हिंदुओं के कंधों पर लाद दिया गया हैं।

उदाहरण के लिए पेशवा बाजीराव पर बनी “बाजीराव मस्तानी” हो या फिर चित्तौड़ की वीरांगनाओं के जोहर पर बनी “पद्मावत” हो या फिर झूठे इतिहास पर आधारित “जोधा-अकबर” हो। अब ऐसी इनकी आगामी फिल्म आ रही “पानीपत“।

फिल्म कैसी है यह तो आने के बाद ही पता चलेगा लेकिन जैसा कि ट्रेलर में दिखी रहा है फिल्म का खलनायक दमदार और मराठा योद्धा सिर्फ, लाचार। और तो और इस फिल्म में संजय दत्त को किरदार दिए जाने पर यह कहना गलत नहीं होगा की इसकी कमाई का एक हिस्सा आतंकवाद को समर्थित करेगा।

जागृत रहिए सजग रहिए और अपनी कमाई इन लुटेरों पर न लुटाए ऐसी अपेक्षा।

।।जय हिंद।।