जब भी अयोध्या मंदीर का मुद्दा उठता हैं तो हमारे आज के कुछ ज्यादा पढे-लिखे समझदार लोगों को यह मात्र एक “विवादित” विषय नजर आता हैं| ये कुछ जागृत श्रेणी के हिंदु कहते मिलते हैं कि इसमें तो सब राजनीती हैं, लोगों को भडकाने का जरीया हैं| कुछ लोग यह भी कहते मिलते हैं कि वहाँ मंदीर-मस्जिद दोनों बना दो या उसकी जगह स्कुल-कालेज खडा कर दो|
हमारी सेक्युलर मिडीया भी एसे लोगों को जम कर दिखाती हैं और एसे बयानों का जम कर प्रचार करती हैं ताकी और लोंगों की भी एसी सोच बने| लेकिन कोई भी वहाँ के वास्तवीक इतिहास को बताने या जानने की कोशिश नहीं करता जबकी होना तो यही चाहीये की सबसे पहले इतिहास को जाने फिर अपनी राय बनाये और बतायें|
इतिहास शाक्षी हैं कि इस धरती पर महाराणा, पृथ्वीराज, शिवाजी, संभाजी जैसे विर योद्धाऔ ने जन्म लीया जिन्होने अपने अधीकार की एक इंच जमीन की रक्षा करने के लिये घास की रोटीयाँ तोडी हो, दुश्मनों की छाती खोल डाली हो, अपने धर्म को बचाने के लिये गर्दने कटवा कर मुंडीयों के पहाड खडे करवा दिये हो…जहाँ अपने स्वाभीमान की रक्षा हेतु महीलाऔं-बच्चों तक ने तलवार उठालिये हो| यह सोचने वाली बात हैं की उसी धरती पर जब उन्ही के अराध्य माने जाने वाले परम पुज्य भगवान “श्री राम” की जन्मस्थली अयोध्या विराजीत मदिंर पर हुवे मुगलों के आक्रमण को क्या खामोशी से सहा होगा? क्या उन्होने कोई प्रतीरोध ना किया होगा? क्या किसी वीर के खुन मेें उबाल नहीं आया होगा? क्या किसी ने मुगलों से लोहा नहीं लिया होगा? और अगर लिया तो हमारे इतिहास में इन गाथाऔं को क्युँ शामील नहीं किया गया? Continue reading