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​क्यों नहीं बन पाया अब तक अयोध्या में श्री राम मंदिर
सवाल तो बहुत मजबूत हैं लेकिन जवाब भी जान ले…. 
अगर आप देश के किसी भी कोने में 

किसी भी दस मुस्लिम से यह प्रश्न करोगे कि 

अयोध्या में क्या बनाया जाये… 
दस के दसों एक आवाज में कहेंगे… सिर्फ बाबरी मस्जिद
लेकिन यही प्रश्न आप दस हिंदु से पूछ के देख लो… 

पुरे देश में घुमने कि जरूरत भी नहीं, उत्तर प्रदेश के ही दस हिंदु से पूछ लेना… मुश्किल से 1 या 2 हिंदु मिलेगा जो यह कहने की हिम्मत करेगा कि वहाँ सिर्फ श्री राम का मंदिर बनना चाहिए… शेष मुर्ख या तो कहेंगे कि अस्पताल या स्कूल बना दिया जाए या फिर मंदिर-मस्जिद दोनो साथ में बनाने को सही ठहरा देगा!!! 
निष्कर्ष यह.. कि इस देश का हिंदु इतना भटक चुका हैं कि ना ही उसे धर्म का ज्ञान हैं और ना ही अयोध्या के इतिहास का ज्ञान… लेकिन मुस्लिम समुदाय पुरी तरह एक राय से संगठीत हैं… भाई, दर शुक्रवार एसे ही थोडे अपना धंधा-पानी छोड के भागे चलते हैं!!! 
मंदिर ना बनने का बडा दोष उनका भी हैं जो अपनी जाती, अपने समुदाय, भाई-भतीजावाद के चलते मंदिर तो छोडो, अपने राज्य व अपने घर कि महिलाओं कि रक्षा को भी ताक पर रख कर आरक्षण कि भीख में वोट नेताओं के पीछे चल पड़ते हैं…. सोच कर देख लो,  सिर्फ राममंदिर के नाम पर ही नेता चुन लेते तो वाकई प्रदेश सहित पुरे भारत का उद्धार हो जाता! 
जय श्री राम

क्या अयोध्या मंदीर मात्र एक विवादीत मुद्दा हैं?

imageजब भी अयोध्या मंदीर का मुद्दा उठता हैं तो हमारे आज के कुछ ज्यादा पढे-लिखे समझदार लोगों को यह मात्र एक “विवादित” विषय नजर आता हैं| ये कुछ जागृत श्रेणी के हिंदु कहते मिलते हैं कि इसमें तो सब राजनीती हैं,  लोगों को भडकाने का जरीया हैं| कुछ लोग यह भी कहते मिलते हैं कि वहाँ मंदीर-मस्जिद दोनों बना दो या उसकी जगह स्कुल-कालेज खडा कर दो|

हमारी सेक्युलर मिडीया भी एसे लोगों को जम कर दिखाती हैं और एसे बयानों का जम कर प्रचार करती हैं ताकी और लोंगों की भी एसी सोच बने| लेकिन कोई भी वहाँ के वास्तवीक इतिहास को बताने या जानने की कोशिश नहीं  करता जबकी होना तो यही चाहीये की सबसे पहले इतिहास को जाने फिर अपनी राय बनाये और बतायें|

इतिहास शाक्षी हैं कि इस धरती पर महाराणा, पृथ्वीराज, शिवाजी, संभाजी जैसे विर योद्धाऔ ने जन्म लीया जिन्होने अपने अधीकार की एक इंच जमीन की रक्षा करने के लिये घास की रोटीयाँ तोडी हो, दुश्मनों की छाती खोल डाली हो,  अपने धर्म को बचाने के लिये गर्दने कटवा कर मुंडीयों के पहाड खडे करवा दिये हो…जहाँ अपने स्वाभीमान की रक्षा हेतु महीलाऔं-बच्चों तक ने तलवार उठालिये हो| यह सोचने वाली बात हैं की उसी धरती पर जब उन्ही के अराध्य माने जाने वाले परम पुज्य भगवान “श्री राम” की जन्मस्थली अयोध्या विराजीत मदिंर पर हुवे मुगलों के आक्रमण को क्या खामोशी से सहा होगा? क्या उन्होने कोई प्रतीरोध ना किया होगा? क्या किसी वीर के खुन मेें उबाल नहीं आया होगा? क्या किसी ने मुगलों से लोहा नहीं लिया होगा? और अगर लिया तो हमारे इतिहास में इन गाथाऔं को क्युँ शामील नहीं किया गया? Continue reading